बस्तर दशहरा 2025: 75 दिनों का विश्व प्रसिद्ध उत्सव आज से शुरू, जानिए क्या है इसका इतिहास

जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा Bastar Dussehra की शुरूआत गुरुवार को हरेली अमावस्या पर पाट जात्रा पूजा विधान के साथ होगी। बस्तर दशहरा के प्रथम अनुष्ठान पाट जात्रा के लिए ग्राम बिलोरी से साल की लकड़ी लाई जा चुकी है।

बता दें कि इस लकड़ी को ठुरलू खोटला कहते हैं। सुबह 11 बजे बस्तर की अराध्य देवी दंतेश्वरी के राजमहल परिसर स्थित मंदिर के समीप पाट जात्रा पूजा विधान संपन्न हुआ। इसमें राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव सहित अन्य सदस्य व मांझी चालकी मेंबर, मेंबरीन, पुजारी पटेल नाईक पाईक सेवादार सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी और शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु शामिल रहें।

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75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा विश्व का सबसे लंबे दिनों तक चलने वाला (world’s longest running festival) त्योहार है। जो देवी दंतेश्वरी की अराधना का पर्व है। छह सौ वर्ष से अधिक समय से मनाया जा रहा बस्तर दशहरा सामुदायिक सहयोग एवं सहकारिता का अनुपम उदाहरण है। इसमें बस्तर के कोने-कोने से लोग शामिल होते हैं।

24 जुलाई से 7 अक्टूबर तक इस-इस अलग-अलग कार्यक्रम

  • 24 जुलाई- पाट जात्रा पूजा विधान
  • 5 सितंबर- डेरी गड़ाई पूजा विधान
  • 21 सितंबर- काछनगादी पूजा विधान
  • 22 सितंबर- कलश स्थापना पूजा विधान
  • 23 सितंबर- जोगी बिठाई पूजा विधान
  • 24 से 29 सितंबर- प्रतिदिन नवरात्र पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
  • 29 सितंबर- बेल पूजा विधान
  • 30 सितंबर- महाअष्टमी पूजा विधान एवं निशा जात्रा पूजा विधान
  • 1अक्टूबर- कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई पूजा विधान एवं मावली परघाव
  • 2 अक्टूबर- भीतर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
  • 3अक्टूबर- बाहर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
  • 4 अक्टूबर- काछन जात्रा पूजा विधान के पश्चात दोपहर में मुरिया दरबार का आयोजन
  • 5 अक्टूबर- कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान में ग्राम्य देवी-देवताओं की विदाई
  • 7 अक्टूबर- मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान के साथ ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व सम्पन्न होगा।

बता दें कि बस्तर का ऐतिहासिक दशहरा पर्व 75 दिनों तक चलता है। जो विश्व का सबसे ज्यादा दिनों तक आयोजित होने वाला त्योहार है। इन 75 दिनों में बस्तर के आदिवासी संस्कृति की अनुपम झलक देखने को मिलती है।

इस ऐतिहासिक पर्व में बस्तर के राज परिवार से लेकर सभी आदिवासी समुदायों के लोग शामिल होते हैं। यहां तक की देश-विदेशों से भी लोग इसका हिस्सा बनने के लिए बस्तर आते हैं।

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