शासन एवं पशुधन विकास विभाग के कर्मचारियों में नहीं बैठ रही पटरी, भुगत रहे पशुपालक

कहीं पशु औषधालय में ताला बंद तो कहीं डॉक्टरों का अभाव

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। राज्य शासन के पशु चिकित्सा सेवायें विभाग (पशुधन विकास विभाग) के कर्मचारियों और स्वयं छत्तीसगढ़ सरकार में लंबे समय से पटरी नहीं बैठ रही है। इसका खामियाजा पशुपालकों, खासतौर से डेयरी व्यवसायियों और किसानों को भुगतना पड़ रहा है। तालमेल नहीं बैठने से पालतू पशुओं का इलाज कराने, पशु नस्ल सुधार आदि के लिये कृत्रिम गर्भाधान कराने पशुपालकों को भटकना पड़ रहा है। कहीं किसी औषधालय में लंबे अरसे से ताला लटका मिल रहा है तो कहीं डॉक्टर या अन्य कर्मचारी नदारद मिलते हैं तो कहीं पुराने राजपत्र के अनुसार ही काम करने संबंधी पर्चा चस्पा मिलता है।
डोंगरगांव ब्लॉक में ऐसा है हाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के डोंगरगांव विकासखंड में पशु चिकित्सा सेवाओं का हाल-बेहाल है। पशु औषधालय ग्राम खुर्सीपार में तो विगत कई माह से ताला लटके होने के समाचार हैं। अर्जुनी, तुमड़ीबोड़, डोंगरगांव आदि में चिकित्सा कर्मियों की कमी से चिकित्सा कर्मियों की कमी से पशु चिकित्सा सेवा पर विपरीत प्रभाव पड़ रहे होने की भी खबर है।
कर्तव्यों का बोझ व अधिकारों की कमी है शासन से नाराजगी की वजह
पशु चिकित्सा सेवा को लेकर बने संघ के जिला शाखाध्यक्ष उत्तम कुमार फंदियाल की मानें तो सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी से लेकर और भी पदों पर शासन की तरफ से कर्तव्यों का बोझ लाद दिया गया है और अधिकार उस हिसाब से नहीं दिये गये हैं। नये दायित्वों को राजपत्र में सम्मिलित भी नहीं किया गया है। उनके संवर्ग में पदोन्नति का भी प्रावधान नहीं है। जिस पद पर हैं उसी पद पर सेवानिवृत्ति हो जाती है।

error: Content is protected !!