खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव पर प्रदेश भर के सियासी लोगों की गड़ी हैं नजरें
राजनांदगांव। विश्व की सबसे बड़ी संस्था कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने आज जिले के खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में ऐसे दमदार उम्मीदवार को उतार दिया है जिससे कांग्रेस के सिपहसालारों के माथे पर शिकन पैदा कर दी है। जी हां। कांग्रेस ने कल ही कांग्रेस कमेटी खैरागढ़ की अध्यक्ष श्रीमती यशोदा वर्मा को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था जिसके अपोज में बीजेपी ने पूर्व विधायक एवं पूर्व संसदीय सचिव कोमल जंघेल जैसे मजबूत अभ्यर्थी के रूप में पासा फेंका है। भाजपा का शुरूआती दांव पेंच वर्मा, लोधी, चंदेल या जंघेल जाति बाहुल्य फैक्टर के मद्देनजर सफल माना जा रहा है।
क्षेत्र विकास के मुद्दे हो सकती है है वोट बटोरने की कोशिश
विधानसभा आम चुनाव हो या उपचुनाव, मत बटोरने का काम क्षेत्रीय समस्याओं और उनके निराकरण के यानी विकास निर्माण के मुद्दे पर ही मुख्य रूप से होता है। इस बार भी यही होने की संभावना है। चूंकि प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नीत कांग्रेस की सरकार करीब 3 साल से है तो यशोदा वर्मा को इसका काफी कुछ लाभ मिल सकता है। दूसरा यह कि कोमल जंघेल खैरागढ़ ने विधायक के साथ-साथ संसदीय सचिव रहते डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में बहुत कुछ विकास निर्माण के कार्य कराये हैं जिसे लोग भूले नहीं हैं। उन्हें भाजपा के 15 साल के शासन काल में हुए क्षेत्र विकास का बड़ा लाभ मिल सकता है।
समर नहीं महासमर है खैरागढ़ विस उपचुनाव
छत्तीसगढ़ विधानसभा उपचुनाव को सिर्फ चुनावी समर नहीं कह सकते। दरअसल यह कांग्रेस से पूर्व विधायक एवं पूर्व सांसद देवव्रत सिंह के जोगी कांग्रेस से विधायक रहते देहावसान के बाद यह सीट रिक्त हो गई है। देवव्रत सिंह राजपरिवार के सदस्य थे और उनका इस क्षेत्र में काफी प्रभाव था। अब देखना यह है कि कल 24 मार्च नामांकन की आखिरी तारीख तक जोगी कांग्रेस से या फिर और कोई दमदार प्रत्याशी खड़ा होता है या नहीं। फिलहाल जबर्दस्त टक्कर कांग्रेस-भाजपा में ही होने की संभावना बलवती है और इस पर पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश के सियासी लोगों की दृष्टि है। यहां का परिणाम इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा कि वर्ष 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा आम चुनाव के लिये शक्ति परीक्षण का आधार बन सकता है।