धर्मांतरण के बाद मूल धर्म की सुविधा बंद किया जाना चाहिए:अशोक चौधरी

राजनंदगांव (दैनिक पहुना)। भाजपा नेता अशोक चौधरी ने कहा कि शहर के पाटीदार भवन में वनवासी कल्याण केंद्र का राष्ट्रीय कार्यशाला विगत 16 ,17 एवं 18 दिसंबर को किया गया। उस सम्मेलन में मुख्य रूप से धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों का संवैधानिक अधिकार जो उन्हें मूल धर्म में मिला हुआ है। धर्मांतरण होने के बाद वह सुविधा बंद किया जाना चाहिए। अशोक चौधरी ने कहा कि चाहे कांग्रेस की सरकार हो चाहे अन्य दलों की सरकार हो चाहे भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो सभी ने धर्मांतरण करने के खिलाफ कानून बनाए हुए हैं लेकिन वह कानून धर्मांतरण रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है कांग्रेस की सरकार में 1967 में ही आदिवासी समाज ने 423 सांसदों से हस्ताक्षर युक्त आवेदन भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को प्रस्तुत किया था, इस पर लोकसभा में चर्चा भी हुआ लेकिन किसी कारण से इसमें फैसला नहीं हो पाया और वह आज तक बिना कोई फैसले के पड़ा हुआ है। इसी से संबंधित एक आवेदन वनवासी समाज ने 23 लाख वनवासियों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन भी लोकसभा में जमा किया था।सर्व विदित है कि मूल धर्म छोड़ने के बाद अन्य धर्म ग्रहण करने पर मूल धर्म से व्यक्ति कट जाता है । लेकिन आरक्षण का लाभ जिसका वह पात्र नहीं है ,वह उठाते रहता है, वनवासी भाइयों की पीड़ा बहुत साफ है की जो हमारे धर्म को ठुकरा कर किसी लोभ लालच में पड़कर दूसरे धर्म में जाता है उसको आरक्षण और अन्य सुविधाएं बंद कर देना चाहिए। यह मांग न्यायोचित भी है।

कांकेर का जो प्रकरण है वह भी आदिवासी समाज से छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने वाले के शव को आदिवासी समाज के अनुरूप उस गांव में क्यों दफनाया गया कायदे से उसे ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया जाना था ।जो ईसाई समाज अपने कब्रिस्तान में धर्मांतरित व्यक्ति को दफनाने से भी परहेज करती है। इससे बड़ा अपमान धर्मांतरित लोगों का क्या होगा ,। मूल समाज में मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों का धर्मांतरण होने के बाद यदि बंद हो जाता है और उसके बाद भी लोग धर्मामांतरण करते हैं तो सही मायने में माना जाएगा की लोग स्वेच्छा से धर्मांतरण कर रहे हैं। विधर्मी लोग अपने धर्म में लाने के बाद भी उन्हें सुविधा प्राप्त होगा यह कहकर उन्हें अपने जाल में फसाते हैं अतः बनवासी कल्याण केंद्र की इस मांग पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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