Supreme court Hearing On Aravalli Range: अरावली पर्वतमाला की परिभाषा और उसके संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर रोक लगाते हुए अरावली पर्वतमाला की परिभाषा और उसके संरक्षण को लेकर गंभीर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले पर 20 नवंबर को दिए 100 मीटर वाली परिभाषा पर रोक लगा दी है। देश के शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
अरावली पर्वतमाला से जुड़े अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई अहम सवालों पर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत इस बात को लेकर चिंतित है कि अरावली पर्वतमाला को किस तरह परिभाषित किया जा रहा है। अदालत के मुताबिक, मौजूदा परिभाषा से पर्यावरण संरक्षण का दायरा सीमित होने का खतरा पैदा हो सकता है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के किसी भी आदेश या रिपोर्ट को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जरूरी है। अदालत ने यह भी प्रस्ताव रखा कि एक हाई पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी गठित की जाए, जो पूरे मामले की गहराई से और समग्र तरीके से जांच करे। इस कमेटी में केवल अधिकारी नहीं, बल्कि विषय से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए।
सुनवाई में सीजेआई ने कहा कि हम इसे आवश्यक मानते हैं कि समिति की सिफारिशों और इस न्यायालय के निर्देशों को फिलहाल स्थगित रखा जाए। समिति के गठन तक यह स्थगन प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि 21 जनवरी के लिए नोटिस जारी किया जाता है। कोर्ट ने कहा, हम यह ज़रूरी समझते हैं कि कमेटी की सिफारिशों और इस कोर्ट के निर्देशों को अभी रोक दिया जाए। कमेटी बनने तक रोक जारी रहेगी. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट ने रिपोर्ट का पूरी तरह से आकलन करने और इन सवालों की जांच करने के लिए एक हाई-पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्तावित प्रक्रिया में उन इलाकों की डिटेल में पहचान भी शामिल होगी जिन्हें अरावली क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा और इस बात का आकलन भी किया जाएगा कि क्या इस तरह के बाहर रखने से अरावली रेंज को नुकसान और खतरा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था
इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था। अरावली हिल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 29 दिसंबर को सुनवाई करने की बात कही थी। चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच इस पूरे विवाद की सुनवाई की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुद के निर्णय पर रोक लगाते हुए अरावली केस में एक्सपर्ट कमेटी बनाने का निर्देश दिया।
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर को अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया था। उसने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्रों में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नए खनन पट्टों के आवंटन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। समिति के अनुसार, अरावली पहाड़ी को उन चिह्नित अरावली जिलों में मौजूद किसी भी भू-आकृति के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जिसकी ऊंचाई स्थानीय निचले बिंदु से 100 मीटर या उससे अधिक हो। वहीं, अरावली पर्वतमाला एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह होगा।

