बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता के पद पर अध्यापन कार्य का पांच वर्ष का अनुभव जरूरी है। हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए आधा दर्जन से अधिक शिक्षाकर्मी ग्रेड वन याचिकाकताओं पर 20 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका है। हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि इनकी वजह से भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हुआ है।
राजेश शर्मा, तोशन प्रसाद, हेमलता वर्मा, अनिल कुमार, अमृतलाल साहू व अन्य ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्राचार्य पद पर पदोन्नति की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने राज्य शासन पर आरोप लगाया था कि उनकी वरिष्ठता को दरकिनार किया जा रहा है। वरिष्ठता के बाद भी पदोन्नति का अवसर नहीं दिया जा रहा है। याचिका में कहा है कि सभी याचिकाकर्ता 10 जुलाई 1998 को शिक्षाकर्मी वर्ग एक में नियुक्त हुए थे। पंचायत विभाग ने नियुक्ति आदेश जारी किया था। राज्य शासन के निर्देश पर 28 सितंबर 2018 को सभी का शिक्षा विभाग में संविलियन भी कर दिया गया है। प्राचार्य पद पर पदोन्नति के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग ने व्याख्याता एलबी को प्राचार्य पद पर के लिए अपात्र घोषित कर दिया। आपत्ति करने पर विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि प्राचार्य पद के लिए पांच वर्ष का अनुभव जरूरी है। उन सभी के पास पर्याप्त अनुभव नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने जवाब में कहा है कि शासन के निर्देश पर वर्ष 2018 में इनको व्याख्याता के पद पर पदोन्नति दी गई है।