नई दिल्ली: केंद्रीय कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी है कि मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के रूप में मंजूरी दे दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि भारतीय किसान दुनिया को खिला रहे हैं। मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के रूप में मंजूरी दी है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने कदम उठाए हैं क्योंकि दुनिया स्थिर खाद्य आपूर्ति के लिए विश्वसनीय वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में है। हमारे किसानों ने सुनिश्चित किया है कि हम दुनिया की सेवा के लिए तैयार हैं।
दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक मिस्र पहले गेहूं के लिए यूक्रेन और रूस पर निर्भर था लेकिन यूक्रेन और रूस के बीच पिछले 50 दिनों से अधिक से जारी युद्ध के कारण मिस्र और रास्तों की तलाश करते हुए भारत तक पहुंचा है। मिस्र सरकार भारत और फ्रांस सहित अन्य देशों से भी वैकल्पिक आपूर्ति को लेकर काम कर रही है। काहिरा में संस्कृति और विज्ञान शहर में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अली अल-इदरीसी ने अल-मॉनिटर से बातचीत में हाल ही में कहा था कि भारत मिस्र के लिए गेहूं आयात करने का एक महत्वपूर्ण विकल्प है। मिस्र के भारत के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं, और हम पहले भी चावल आयात करने के लिए भारत के साथ काम कर चुके हैं। शिपिंग की कम लागत सहित, रसद आदि को देखते हुए भारत से गेहूं लाने का विकल्प सबसे सही है।
हालांकि भारत वैश्विक व्यापार में टॉप दस गेहूं निर्यातकों में से नहीं है लेकिन निर्यात में इसकी बढ़ोतरी दर अन्य देशों से आगे निकल गई है जो कि दुनिया भर में नए बाजारों तक पहुंचने में तेजी से कदम उठा रही है। भारत अब तक गेहूं का निर्यात अपने पड़ोसी देशों को करता रहा है। 2020-21 में मात्रा और मूल्य के लिहाज से बांग्लादेश की सबसे बड़ी हिस्सेदारी 54 प्रतिशत से अधिक है। इसी साल भारत ने यमन, अफगानिस्तान, कतर और इंडोनेशिया जैसे नए गेहूं जे बाजारों में प्रवेश किया है।