असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने शुक्रवार को महिला पुलिस अधिकारी से कथित मारपीट के सिलसिले में गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी को जमानत दे दी. जिग्नेश मेवानी के वकील अंगसुमन बोरा ने बताया कि कुछ औपचारिकताओं के कारण उन्हें 30 अप्रैल को रिहा किए जाने की उम्मीद है.
कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक मेवानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए पहली बार 19 अप्रैल को गुजरात के पालनपुर शहर से गिरफ्तार किया गया था और कोकराझार लाया गया था. इस मामले में उन्हें 25 अप्रैल को जमानत मिली थी. हालांकि जमानत मिलने के ठीक बाद उन्हें महिला पुलिस अधिकारी से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद जिग्नेश ने फिर से जमानत अर्जी लगाई.
आरोप है कि जब मेवानी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गुवाहाटी हवाईअड्डे से कोकराझार जा रहे थे, तो उन्होंने महिला अधिकारी से मारपीट की. मेवानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 323, 353 और 354 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दलित नेता मेवानी का राजनीतिक रूप से समर्थन कर रही कांग्रेस ने गुरुवार को विरोध मार्च निकाला. हालांकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘राज्य सरकार पीएम मोदी के स्वागत के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च कर रही है जबकि उसी राज्य के एक और विधायक को कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी से मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया जा रहा है.’’