भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी और उनकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के खिलाफ सीबीआई ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. यह मामला 30 अप्रैल को दर्ज किया गया था. 2014-18 के बीच सरकारी कंपनी इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (आईएफसीआई) से 22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए नया मामला दर्ज किया है. सीबीआई मेहुल चोकसी और उसके सहयोगियों पर भी छापेमारी कर रही है.
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक आईएफसीआई लिमिटेड, जीजीएल और चोकसी के प्रतिनिधित्व, आश्वासन और उपक्रमों पर निर्भर था. इसके अलावा गिरवी रखे गए गहनों की कीमत का मूल्यांकन सूरजमल लल्लू भाई एंड कंपनी, नरेंद्र झावेरी, प्रदीप शाह और श्रेनिक शाह जैसे मूल्यांकनकर्ताओं ने किया था. यह आरोप लगाया गया कि शेयरों की गिरवी, हीरे और सोने से जड़े आभूषणों को गिरवी के आधार पर दो गुना सिक्योरिटी कवर के आधार पर लोन वितरित किया गया था, जिसका मूल्यांकन नामी मूल्यांकनकर्ताओं ने किया था. इन सभी का नाम बतौर आरोपी एफआईआर में डाला गया है.
सीबीआई ने कहा कि चोकसी की कंपनी ने लोन की किश्तों के भुगतान में चूक की और पैसे की वसूली के लिए आईएफसीआई लिमिटेड ने गिरवी को लागू किया और कुल गिरवी रखे गए 20,60,054 शेयरों में से 4.07 करोड़ मूल्य के केवल 6,48822 शेयर बेच सका क्योंकि चोकसी की क्लाइंट आईडी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड ने निलंबित कर दी थी.
सिक्योरिटीज को रिलीज करने के लिए आईएफसीआई ने दो मूल्यांकनकर्ताओं को अपॉइंट किया, जिन्होंने गिरवी रखे हुए गहनों (सोना, हीरे और सोने से जड़ित आभूषण) की नई कीमत जारी की. ताजा कीमत में गिरवी रखे गए गहनों की कीमत में तीन साल में 98% की गिरावट देखी गई. एफआईआर में सीबीआई ने कहा, यह भी मालूम चला है कि हीरे कम क्वॉलिटी के थे. इनको लैब में कैमिकल के जरिए तैयार किया गया था. ये असली नहीं थे.