उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) को शिव नगरी भी कहा जाता है. यहां पर अनेकों प्राचीन मंदिर और घाट हैं जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन आप घाटों की भीड़-भाड़ से दूर कुछ सुकून के पल बिताना चाहते हैं तो सारनाथ आपके लिए बेस्ट जगह है. सारनाथ देश भर में सबसे पवित्र बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है. यहां बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान ने महा धर्म चक्र परिवर्तन के रूप में अपना पहला पवित्र उपदेश दिया था. इसलिए यहां की कई संरचनाओं और स्मारकों का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. बता दें कि ये प्राचीनतम नगर सम्राट अशोक के शासन में काफी फला-फूला है. चलिए आपको बताते हैं यहां की फेमस स्थलों के बारे में….
धमेख स्तूप – बताया जाता है कि धमेख स्तूप यहां का सबसे आकर्षक स्तूप है. इसकी स्थापना 249 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने की थी. इस स्तूप को धर्म चक्र स्तूप के नाम से भी जाना जाता है. इसकी बाहरी दीवारों पर गुप्त वंश के दौरान उकेरी गई नक्काशी देखी जा सकती हैं.
अशोक स्तंभ – सम्राट अशोक ने पूरे देश में कई स्तंभों को नवाया था. जिसमें से एक का अवशेष आज भी सारनाथ में देखने को मिलता है. शीर्ष पर चार शेर वाला ये स्तंभ भारत का राष्ट्रीय चिह्न भी हैं. इसकी प्रारंभिक उंचाई 55 फीट थी. जोकि आज 7 फीट 9 इंच का रह गया है.
मूलगंध कुटी विहार मंदिर – सारनाथ में मौजूद इस मंदिर का निर्माण 1931 में श्रीलंकाई महाबोधि सोसाइटी द्वारा करवाया गया था. कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला वर्षा काल बिताया था. मंदिर की दीवार पर, सुंदर भित्तिचित्रों को शामिल किया गया है जो भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाते हैं.
चौखंडी स्तूप – ये वाराणसी से करीब 13 किमी की दूरी पर स्थित है. ये लाल पत्थरों से बनाया गया है. जोकि बोद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. इस जगह पर ही गौतम बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को धर्म के उपदेश दिए थे. जिस उन्होंने पूरी दुनिया में फैलाया था.