जिले के तेंदूपत्ता संग्राहक होने लगे हैं संगठित
जिला किसान संघ भी इनके जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के पक्ष में
राजनांदगांव। इस जिले में तेंदूपत्तों की बहुत अच्छी क्वालिटी होने के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 4 हजार रू. प्रति मानक बोरा ही दे रही है, जबकि पड़ौसी राज्य महाराष्ट्र में इसके व्यापारिक भाव 12 हजार रू. मानक बोरा माने तिगुने होने के समाचार हैं। खबर तो यह भी है कि वन मंडल राजनांदगांव अंतर्गत सुदूर औंधी, सरखेड़ा और उसी क्षेत्र के ग्राम डोंगरगांव सहित दस-बारह गांव के तेंदूपत्ता संग्राहक संग्रहित हो गये हैं और महाराष्ट्र के अलावा उड़ीसा व दक्षिण भारत के राज्यों में व्यापारी तलाश कर आ गये हैं। इस संबंध में पता चला है कि जिला किसान संघ भी वनवासी आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन की लड़ाई में इनके पक्षधर हैं। वे सरकार से पेसा कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं।
उक्त संबंध में जिला किसान संघ के संयोजक सुदेश टीकम ने भी पुष्टि की। इधर वन मंडलाधिकारी राजनांदगांव सलमा फारूखी ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के उक्त कार्य के लिये संगठित होने व उनके महाराष्ट्र या अन्य राज्य मंे व्यापारी तलाशे जाने की जानकारी तो नहीं है, पर यदि पत्ते सीधे तौर से उन्हें बेचे जाते हैं तो जब्ती की कार्यवाही होगी। वन विभाग स्टाफ लगातार निगरानी कर रहा है। उन्होंने यह जरूर बताया कि 8 फड़ों के संग्राहकों ने महज एक दिन संग्रहण कार्य किया। उसके बाद से संग्रहण कार्य बंद कर दिये हैं।