प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, 49100 करोड़ रू. लौटाने की मांग
राजनांदगांव। आज आल इनवेस्टर सेफ्टी आर्गनाईजेशन के बैनर तले पीएसीएल निवेशक बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कलेक्टोरेट के सामने धरना-प्रदर्शन आंदोलन कर रहे हैं। ये कलेक्टर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम मांग पत्र सौंपने की तैयारी में थे। ज्ञापन में बताया गया है कि राजनांदगांव जिले के 1 लाख निवेशकों का 125 करोड़ रूपये एवं पूरे छत्तीसगढ़ राज्य से 10 लाख निवेशकों का एक हजार करोड़ रू. सेबी की रिपोर्ट के अनुसार जब्त है। इस प्रकार देशभर के 5 करोड़ 85 लाख निवेशकों का 49100 करोड़ रू. जब्त है।
संगठन के स्पीकर मोहन साहू ने बताया कि पर्ल्स ग्रुप ऑफ कम्पनी भारत सरकार से मान्यता प्राप्त कर 1983 में अपनी योजनाएँ चला रही थी। इसी क्रम में पी.ए.सी.एल लिमिटेड से रियल इस्टेट (भूमि में निवेश) की योजना चला रहा था। सरकार की केंद्रीय जाँच एजेन्सी, आडिट लाइसेंस का नवीनीकरण करती रही। आयकर विभाग नियमतः टैक्स लेता रहा। यहाँ तक कि 2013 तक सर्वाेच्च न्याय पालिका के निर्देशानुसार कम्पनी की कार्यप्रणाली में कोई दोष साबित नही कर पाई, परन्तु 22 अगस्त 2014 को ऐसा क्या हो गया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कम्पनी के योजनाओ को अवैध मानकर कारोबार बंद कर सारे बैंक खाते एवं सम्पत्तियों को जब्त कर लिया जिससे निवेशको का पैसा मिलना बंद हो गया जो सेबी रिपोर्ट अनुसार देश के 5.85 करोड़ निवेशक जिसमें राजनांदगाँव जिला के लगभग 1 लाख निवेशकों का 125 करोड, एवं पूरे छ.ग. से लगभग 10 लाख निवेशकों का 1000 करोड़ रुपये शामिल है।
श्री साहू ने आगे बताया कि ऑल इनवेस्टर सेफ्टी आर्गेनाइजेशन संगठन एक जन कल्याणकारी राष्ट्रीय पंजीकृत संस्था है, जिसके द्वारा भी निवेशकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए 2 फरवरी 2016 को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्रीमान आर. एम. लोढ़ा साहब की अध्यक्षता में समिति गठित कर सम्पत्तियों को नीलाम करने का पैसा 6 माह के अन्दर वापस करने का फैसला सुनाया लेकिन आज 6 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निवेशकों का पैसा वापस नहीं हो पाया है। और कुछ लोगो की रकम वापसी हुई है, जिसमें भी त्रुटि है जिसके कारण ए.आई.एस.ओ. संगठन क्षेत्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अनेक धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार केन्द्र सरकार तथा संबंधित विभाग को ज्ञापन सौंपे गये। लेकिन कुछ भी नही हुआ, पी.ए.सी.एल. मामले में लोढ़ा कमेटी कि कार्यप्रणाली पूर्ण रूप से सेबी द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो केन्द्र सरकार कि एजेन्सी है। इसके समाधान के लिए भारत भर के विधायकों एवं सांसदों को भी ज्ञापन दिया गया लेकिन आज तक उनके द्वारा निवेशकों के हित में कोई कदम नहीं उठाया गया, जबकि केन्द्रीय जाँच एजेन्सी (सीबीआई) कि रिपोर्ट अनुसार कम्पनी की जब्त सम्पत्तियाँ देनदारी से लगभग चार गुना अधिक है, जो ऑक्शन पीएसीएलडॉटकॉम में अपलोड है। पर्याप्त सम्पत्तियाँ होने के बावजूद केन्द्र की संस्था सेबी पिछले 6 वर्षों में निवेशकों का धन वापसी करने में असमर्थ रही।
अतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया गया है कि इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कंपनी की सम्पत्तियों को राजसात कर जल्द से जल्द देश भर के 5.85 करोड़ निवेशकों को उनका जमा धन ब्याज सहित वापस करवाने में सहयोग करें। साथ ही चेतावनी दी गई है कि अगर वे निवेशकों को जल्द से जल्द उनकी समस्या का निराकरण करते हुए धन वापस नहीं किया गया तो आने वाले समय में ए आई एस ओ संगठन द्वारा छत्तीसगढ़ के बैनर तले उग्र प्रदर्शन किया जायेगा जिसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी।
संगठन के स्पीकर मोहन साहू ने बताया कि पर्ल्स ग्रुप ऑफ कम्पनी भारत सरकार से मान्यता प्राप्त कर 1983 में अपनी योजनाएँ चला रही थी। इसी क्रम में पी.ए.सी.एल लिमिटेड से रियल इस्टेट (भूमि में निवेश) की योजना चला रहा था। सरकार की केंद्रीय जाँच एजेन्सी, आडिट लाइसेंस का नवीनीकरण करती रही। आयकर विभाग नियमतः टैक्स लेता रहा। यहाँ तक कि 2013 तक सर्वाेच्च न्याय पालिका के निर्देशानुसार कम्पनी की कार्यप्रणाली में कोई दोष साबित नही कर पाई, परन्तु 22 अगस्त 2014 को ऐसा क्या हो गया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कम्पनी के योजनाओ को अवैध मानकर कारोबार बंद कर सारे बैंक खाते एवं सम्पत्तियों को जब्त कर लिया जिससे निवेशको का पैसा मिलना बंद हो गया जो सेबी रिपोर्ट अनुसार देश के 5.85 करोड़ निवेशक जिसमें राजनांदगाँव जिला के लगभग 1 लाख निवेशकों का 125 करोड, एवं पूरे छ.ग. से लगभग 10 लाख निवेशकों का 1000 करोड़ रुपये शामिल है।
श्री साहू ने आगे बताया कि ऑल इनवेस्टर सेफ्टी आर्गेनाइजेशन संगठन एक जन कल्याणकारी राष्ट्रीय पंजीकृत संस्था है, जिसके द्वारा भी निवेशकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए 2 फरवरी 2016 को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्रीमान आर. एम. लोढ़ा साहब की अध्यक्षता में समिति गठित कर सम्पत्तियों को नीलाम करने का पैसा 6 माह के अन्दर वापस करने का फैसला सुनाया लेकिन आज 6 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निवेशकों का पैसा वापस नहीं हो पाया है। और कुछ लोगो की रकम वापसी हुई है, जिसमें भी त्रुटि है जिसके कारण ए.आई.एस.ओ. संगठन क्षेत्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अनेक धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार केन्द्र सरकार तथा संबंधित विभाग को ज्ञापन सौंपे गये। लेकिन कुछ भी नही हुआ, पी.ए.सी.एल. मामले में लोढ़ा कमेटी कि कार्यप्रणाली पूर्ण रूप से सेबी द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो केन्द्र सरकार कि एजेन्सी है। इसके समाधान के लिए भारत भर के विधायकों एवं सांसदों को भी ज्ञापन दिया गया लेकिन आज तक उनके द्वारा निवेशकों के हित में कोई कदम नहीं उठाया गया, जबकि केन्द्रीय जाँच एजेन्सी (सीबीआई) कि रिपोर्ट अनुसार कम्पनी की जब्त सम्पत्तियाँ देनदारी से लगभग चार गुना अधिक है, जो ऑक्शन पीएसीएलडॉटकॉम में अपलोड है। पर्याप्त सम्पत्तियाँ होने के बावजूद केन्द्र की संस्था सेबी पिछले 6 वर्षों में निवेशकों का धन वापसी करने में असमर्थ रही।
अतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया गया है कि इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कंपनी की सम्पत्तियों को राजसात कर जल्द से जल्द देश भर के 5.85 करोड़ निवेशकों को उनका जमा धन ब्याज सहित वापस करवाने में सहयोग करें। साथ ही चेतावनी दी गई है कि अगर वे निवेशकों को जल्द से जल्द उनकी समस्या का निराकरण करते हुए धन वापस नहीं किया गया तो आने वाले समय में ए आई एस ओ संगठन द्वारा छत्तीसगढ़ के बैनर तले उग्र प्रदर्शन किया जायेगा जिसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी।