छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला शिक्षा के क्षेत्र में लगातार पिछड़ते जा रहा है. यही वजह है कि इस बार के भी 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम में बस्तर जिले के टॉप टेन में कोई भी छात्र या छात्रा ने बाजी नहीं मारी. हालांकि लगातार परीक्षा परिणामों में छात्रों के पिछड़ने की वजह छात्रों के पढ़ाई में कमजोर होना बताया जा रहा है, लेकिन सच तो यह है कि जिले में शिक्षा की व्यवस्था बेहद दयनीय बनी हुई है. जिले में शिक्षकों की कमी की वजह से बच्चों की पढ़ाई लगातार प्रभावित हो रही है.
बस्तर जिले के 526 स्कूल एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहा है. वहीं 143 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है. यानी यह स्कूल शिक्षक विहीन है. 16 जून से नए सत्र के तहत सभी स्कूल शुरू हो जाएंगे. वहीं हमेशा की तरह शिक्षा विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि स्कूल खुलने से पहले शिक्षकों की कमी पूरी कर ली जाएगी.
बस्तर जिले में शिक्षा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है. जिले के शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. हालांकि शिक्षा विभाग के अफसरों ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत शिक्षकों को अटैच करने का दावा किया है लेकिन ये नहीं बताया जा रहा है कि कितने शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में अटैच किया जाएगा.
वर्तमान में बस्तर जिले के कुल 647 स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. इधर जिले में सबसे खराब स्थिति लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के स्कूलों की है. लगभग 94 स्कूल ऐसे हैं जहां एकमात्र शिक्षक ही पूरे स्कूल का संचालन करने का जिम्मा उठा रहे हैं, जबकि यहां के 33 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. इसके अलावा बकावंड, बास्तानार और बस्तर ब्लॉक में भी एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे स्कूलों की संख्या काफी ज्यादा है.
इधर जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान ने भी इस बात को स्वीकारा है कि वास्तव में शिक्षकों की कमी बस्तर जिले में बनी हुई है. शिक्षक विहीन शाला भी यहां पर संचालित हो रही है. हालांकि शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए व्यापम द्वारा लिए गए परीक्षा में उम्मीदवारों को बुलाने के लिए शासन से पत्र आ गए हैं.
शिक्षा अधिकारी का कहना है की जितना जल्दी हो सके शिक्षकों को बुलाकर रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की कार्रवाई की जाएगी. इधर बस्तर जिले में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या करीब 2 हजार से ज्यादा है. वहीं इनमें 25 फीसदी से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों की व्यवस्था ही शिक्षा विभाग नहीं कर पाया है. इन हालातों में आने वाले शिक्षा सत्र में बच्चों की पढ़ाई खासी प्रभावित हो सकती है.