व्यवस्था में बड़े सिरदर्द बने हुए हैं प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरीबैग
निगम प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्यवाही
राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्लास्टिक कैरी बैग (एकदम पतले) पर बीते सालों से प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन निगम प्रशासन की लापरवाही के चलते इस प्रतिबंध का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
0- सफाई व्यवस्था सिरदर्द, मवेशियों के लिए भी खतरनाक
उल्लेखनीय है कि प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरी बैग बाजार में फुटकर हलवाई दुकानदारों आदि को प्लास्टिक पॉलिथिन के बड़े व्यवसासियों द्वारा धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। फुटकर व्यवसायी इन प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरी बैग में खुलेआम सामान भर कर दे रहे हैं। प्लास्टिक कैरी बैग प्रतिदिन बहुत बड़ी मात्रा में उपयोग में लाया जाकर कचरे के रूप में सड़कों, नालियों में भी फेंक दिये जा रहे हैं। उनमें बासी भोजन, बासी फल, सब्जी आदि भरकर यूं ही कहीं भी फेंक दिये जाते हैं जिन्हें षहर में बड़ी संख्या में घूम रहे गौ प्रजाति के पशु प्लास्टिक सहित चबाकर खा जाते हैं। इस तरह खाना तो पच जाता है, लेकिन मवेशियों के पेट मे जमा झिल्ली उनके लिये धीमा जहर साबित हो रहे हैं। वे मूक प्राणी बीमार होकर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं।
0- प्लास्टिक कैरी बैग की थोक दुकानों में छापे की कार्यवाही जरूरी
शहर में लंबे समय से प्लास्टिक कैरी बैग के थोक कारोबारियों के ठिकानों पर निगम प्रशासन के छापे नहीं पडे़ हैं। इससे उनके हौसले बुलंद हैं और प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरी बैग की बिक्री और उनका उपयोग तभी थम सकता है जब छापे और दंड की बड़ी कार्यवाही की जाये और फुटकर व्यवसायियों को भी इनमें भर कर ग्राहकों को सामान थमाने से मना किया जाये। नहीं मानने पर अवश्य सख्त कार्यवाही की जाये। पेपर बैग के निर्माण विक्रय व उपयोग को विकल्प के तौर पर प्रोत्साहित किया जाये।