महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में 3 सीटें जीतकर सत्ताधारी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी को झटका देने वाली भाजपा अब एमएलसी चुनाव के लिए भी कुछ ऐसा ही प्लान कर रही है। कुल 10 विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव होने वाला है और भाजपा ने 5 उम्मीदवार खड़े किए हैं, जबकि वह एक निर्दलीय को समर्थन दे रही है। ऐसे में साफ है कि एक बार फिर से जोड़-तोड़ का खेला हो सकता है और बाजी भाजपा के हाथ भी लग सकती है। देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा, ‘हमारा सुझाव था कि ये चुनाव निर्विरोध होने चाहिए। सत्ताधारी दल में बहुत उपद्रव है और हम 5 सीटों पर लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार का नाम वापस नहीं लिया है और अब चुनाव होगा। उन लोगों के बीच बहुत टकराव है और हम वोट हासिल कर लेंगे।’
देवेंद्र फडणवीस ने अपने बयान से एक तरफ गठबंधन में टकराव की बात कही दी तो दूसरी तरफ भाजपा की रणनीति भी साफ कर दी है। बता दें कि खराब मैनेजमेंट के चलते शिवसेना के संजय पवार को राज्यसभा में हार का सामना करना पड़ा, जबकि दो ही उम्मीदवारों को जिताने का समर्थन रखने वाली भाजपा ने रणनीतिक तेजी से दिखाते हुए तीसरे कैंडिडेट धनंजय महादिक को भी जिता लिया। इसके बाद से ही गठबंधन में टकराव की स्थिति है। यही नहीं अब तो खुद शिवसेना का कहना है कि हर दल को अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत तय करनी चाहिए।
शिवसेना बोली, निर्दलीयों के भरोसे तो फेल हो जाएंगे समीकरण
शिवसेना के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘यह साफ है कि निर्दलीयों के समर्थन के आधार पर कोई भी समीकरण फेल हो सकता है। हर पार्टी को अपनी ओर से तय उम्मीदवारों की जीत का जिम्मा लेना चाहिए।’ राज्य में 20 जून को 10 सीटों के लिए चुनाव होने वाला है। यह चुनाव सीक्रेट बैलेट्स के जरिए होता है और विधायकों का इलेक्टोरल कॉलेज इसके लिए मतदान करता है। ऐसे में इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग और हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना बढ़ जाती है। बीएमसी चुनाव से पहले यदि सत्ताधारी गठबंधन को एक बार फिर से झटका लगता है तो यह उसके लिए बड़ी चिंता की बात होगी। यही नहीं इससे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच टकराव और तेज हो सकता है।
राज्यसभा में झटके के बाद से शिवसेना सतर्क
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी और भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि दोनों तरफ से एक-एक कैंडिडेट नाम वापस ले सकता है। इससे 10 सीटों के लिए 11 कैंडिडेट ही बचेंगे। एक उम्मीदवार को जीत के लिए 26 से 27 मतों की जरूरत है। शिवसेना के एक लीडर ने राज्यसभा चुनाव में झटके की बात करते हुए कहा, ‘एनसीपी के करीबी विधायकों ने हमारे कैंडिडेट को वोट नहीं दिया। लेकिन इसके बाद भी हम एनसीपी पर उंगली नहीं उठा सकते क्योंकि हो सकता है कि उन विधायकों को भाजपा की ओर से कोई वादा किया गया हो।’
भाजपा ने 5 कैंडिडेट उतारे, छठे निर्दलीय को किया समर्थन
बता दें कि भाजपा ने प्रवीण दारेकर, श्रीकांत भारतीय, राम शिंदे, उमा खापरे और प्रसाद लाल के तौर पर 5 उम्मीदवार उतारे हैं। इसके साथ ही पूर्व मंत्री सदाभाऊ खोट निर्दलीय उतरे हैं, जिन्हें भाजपा ने समर्थन का ऐलान किया है। उनकी उम्मीदवारी ही पूरे मुकाबले में रोमांच पैदा करने वाली है। अघाड़ी की बात करें तो शिवसेना ने सचिन अहीर और आमशा पडवी को उतारा है। एनसीपी ने एकनाथ खडसे और रामराजे नाइक को मौका दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने भाई जगताप और चंद्रकांत हंदोरे को टिकट दिया है। कांग्रेस को अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए 8 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी, लेकिन उसके लिए जीत हासिल कर पाना मुश्किल है।