रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े एक्सिस बैंक घोटाले के दो मास्टरमाइंड आरोपित सतीश वर्मा और साईं प्रवीण रेड्डी को हैदराबाद से गिरफ्तार कर पुलिस रायपुर पहुंची। पुलिस ने आरोपित सतीश वर्मा से एक करोड़ एक लाख रुपए नगदी जब्त किया है। इस फर्जीवाड़े के 16 करोड़ रुपए में से पुलिस ने अबतक दो करोड़ 34 लाख नगदी और एक करोड़ 18 लाख रुपए राज्य के अलग-अलग बैंकों में फ्रीज कराए हैं। जबकि अब तक कुल तीन करोड़ पांच लाख रुपए जब्त कर चुकी है।
इस मामले में पुलिस अबतक आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें रायपुर से सौरभ मिश्रा, आबिद खान, संदीप रंजन दास, समीर कुमार जांगड़े, गुलाम मुस्तफा, सत्यनारायण वर्मा उर्फ सतीश वर्मा, सांई प्रवीण रेड्डी और के. श्रीनिवास शामिल हैं। आने वाले दिनों में आरोपितों की संख्या में बढ़ेगी।
इधर, पुलिस ने एनजीओ संचालिका को पूछताछ के लिए नोटिस देकर तलब किया है। वहीं मंडी बोर्ड के अकाउंटेंट और कई कर्मचारियों भी पूछताछ हो चुकी है। इस मामले में पुलिस कई और आरोपितों की गिरफ्तारी कर सकती है।
एक्सिस बैंक फर्जीवाड़ा: मंडी बोर्ड के लेखाधिकारी से पूछताछ
इससे पहले एक्सिस बैंक घोटाला मामले में गिरफ्तार छह आरोपितों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। इनमें रायपुर के पांच और एक आरोपित हैदराबाद का है। हैदराबाद से गिरफ्तार आरोपित के. श्रीनिवास की रिमांड एक जुलाई और अन्य पांच की तीन जुलाई को समाप्त होगी।
13 खातों की सूची तैयार कर जांच
एनजीओ सहित 13 खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। पुलिस ने उन 13 खाता धारकों की सूची तैयार की है। उन्हें भी बुलाकर पूछताछ कर रही है। सभी को नोटिस जारी किया जा रहा है। अपराध में संलिप्ता होने पर उन्हें आरोपित बनाया जाएगा।
लेखाधिकारी से मांगी गई यह जानकारी
मंडी बोर्ड के लेखाधिकारी से यह जानकारी मांगी गई है कि एक्सिस बैंक में खाता खोलने की अनुमति किसने दी। पैसा निकलने की सूचना सबसे पहले किसे दी गई। एक्सिस बैंक ने पैसा कब वापस किया।
बोर्ड के अधिकारी भी कर रहे जांच
छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने भी जांच शुरू कर दी है। 23 दिन में करोड़ों रुपये निकलने के बाद अधीनस्थ अधिकारियों से पूछताछ की गई। मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने एक्सिस बैंक से डीडी और लेटर को लेकर पूछताछ की। वहीं चेकबुक से जुड़े सवाल पूछे गए। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ठगी की जानकारी आने के बाद इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई थी। उसके बाद बैंक को पत्र लिखकर पैसे वापस करवा लिए गए।