फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली पुलिस ने उन्हें आज पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। जहां उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान पुलिस ने दावा किया कि जुबैर को पाकिस्तान और सीरिया से विदेशी चंदा मिले हैं। उन्होंने एफआईआर दर्ज होने के बाद अपने फोन का डाटा डिलिट किया है। इसका जवाब देते हुए उनकी वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि फोन फॉर्मेट करना गैरकानूनी नहीं है।
जुबैर की जमानत अर्जी पर सुनवाई शुरू
जमानत पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि जुबैर को पाकिस्तान और सीरिया ने चंदा मिला है। इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए यह मामला सिर्फ एक सिंपल ट्वीट करने का नहीं है। आरोपी प्रावदा मीडिया का निदेशक है। उसने बड़ी ही चालाकी से सब कुछ डिलीट कर दिया। ऐसे में जमानत अर्जी खारिज की जानी चाहिए। उसने एफआईआर के बाद फोन से डाटा डिलीट किया है।
वहीं जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मुझे एफआईआर और फोन के जमा नहीं करने के बारे में पता नहीं था। फोन को फॉर्मेट करना गैरकानूनी नहीं है। यह हथियार या गोला-बारूद या कोई ड्रग्स नहीं है। मैं इसपर गंभीर कानूनी और संवैधानिक आपत्तियां दर्ज कर सकती हूं।
इससे पहले जुबैर की वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मोबाइल और हार्ड डिस्क जब्त कर लिए हैं लेकिन पुलिस को अभी इस मामले में कोई ठोस सुबूत नहीं मिले हैं। पुलिस सिर्फ मामले को लंबा खींचना चाहती है। पुलिस कि सारी कहानी मनगढ़ंत है। यह पूरी कहानी साल 2018 की है और वह भी एक पुराने ट्वीट का मामला है। दिल्ली पुलिस इस मामले को लेकर कहीं और जा रही है। वहीं पुलिस का कहना है कि जुबैर को जब पूछताथ के लिए बुलाया गया तो वे अपना फोन लेकर आए थे। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि वह उस दिन से पहले एक और सिम का इस्तेमाल कर रहे थे। जिसे नोटिस मिलने पर उन्होंने निकालकर नए मोबाइल में डाल दिया। फिलहाल मामले की जांच चल रही है। पुलिस कोर्ट में जुबैर की कस्टडी के लिए एप्लीकेशन दाखिल कर सकती है।
पुलिस ने जुबैर को 14 दिन न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की है। इसके अलावा पुलिस ने उनपर दर्ज एफआईआर में आईपीसी की और धाराएं जोड़ी हैं। जिनमें आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के साथ ही एफसीआरए की धारा 35 को भी जोड़ा गया। जुबैर पर विदेश से चंदा लेने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने जुबैर का मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क जब्त किए हैं।
ईडी कर सकती है जांच
जुबैर के केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री हो सकती है क्योंकि पुलिस ने उनके बैंक खातों की जानकारी ईडी को दी है। एफआईआर की कॉपी भी ईडी को भेजी गई है। बताया जा रहा है कि उनके अकाउंट में पिछले तीन महीने में करीब 56 लाख रुपए आए हैं। इन पैसों के पाकिस्तान और सऊदी अरब से आने की आशंका है। बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने जुबैर को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था। सेक्शन 153 ए और 295 ए के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
क्या है एफसीआरए की धारा 35
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के अनुसार, जो कोई भी इस अधिनियम या इसके तहत बनाए गए किसी भी नियम या आदेश के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करते हुए, किसी भी विदेशी योगदान या किसी विदेशी स्रोत से किसी भी मुद्रा या सिक्योरिटी को स्वीकार करने में किसी व्यक्ति, राजनीतिक दल या संगठन की सहायता करता है तो उसे दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि पांच साल तक हो सकती है या उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों हो सकती हैं।