काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मामले की मेरिट पर वाराणसी की जिला जज की अदालत में सोमवार को सुनवाई हुई। 30 मई को अदालत ने मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद चार जुलाई तक के लिए सुनवाई टाल दी थी। आज भी मुस्लिम पक्ष के वकील ने दलीलें पेश कीं। इसके बाद अदालत ने 12 जुलाई तक के लिए सुनवाई टाल दी है। उस दिन भी मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रखेगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में हो रही सुनवाई में सबसे पहले सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 07 नियम 11 पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव को दलील पेश करने का मौका मिला है। इसमें तय होना है कि हिन्दू पक्ष की ओर से दायर मामला सुनवाई योग्य है या नहीं।
इससे पहले सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में केवल वादी प्रतिवादी व अधिवक्ताओं को ही प्रवेश दिया गया। जिला जज के भवन के आसपास काफी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई थी। प्रवेश द्वार पर भी चौकसी बढ़ा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद जिला जज ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पहले केस की मेरिट पर सुनवाई का आदेश दिया था। 26 मई की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील अभयनाथ यादव ने वादी महिलाओं की ओर से दाखिल दावे को विरोधाभासी बताते हुए करीब 12 बिंदुओं पर दलील दी थी।
इसके बाद सुनवाई 30 मई को हुई। 30 मई को प्रतिवादी अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने 1937 के दीन मुहम्मद केस का जिक्र करते हुए वाद खारिज करने का तर्क दिया था। उस दिन जिला जज ने बहस जारी रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय कर दी थी।
मुस्लिम पक्ष की ओर से एक महीने पहले मूल वाद को खारिज करने के लिए 26 बिंदुओं पर दलीलें पेश की गईं थी। इसके बाद दीवानी न्यायालय बंद होने से कोर्ट ने चार जुलाई तक सुनवाई टाल दी थी। वहीं, शृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों के दर्शन-पूजन संबंधी वाद में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही का वीडियो फुटेज लीक होने के मामले में कार्रवाई की मांग संबंधी वादी महिलाओं समेत कई लोगों की अर्जी पर सुनवाई हो सकती है।