श्री चंद्रसिद्धेश्वर गणेश मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक

 

मनोकामना सिद्धि के लिए अर्पित किए जाते हैं दुर्वा

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। संस्कारधानी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैला पसरा, गुरूनानक चौक स्थित श्री चंद्रसिद्धेश्वर गणेश मंदिर की प्रसिद्धि काफी दूर-दूर तक है। इस मंदिर में मनोकामना सिद्धि के लिए लगातार 21 बुधवार तक ग्यारह दूबघास या दुर्वा श्री गणपति के चरणों में अर्पित किये जाने से श्रद्धालु की मनोकामना अवश्य पूरी हो जाती है, ऐसी मान्यता है। लोगों की बढ़ती श्रद्धा को देखते हुए इस मंदिर को और अधिक भव्य रूप दिया जा रहा है।श्री चंद्रसिद्धेश्वर गणेश मंदिर के मिथला धाम के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि वर्ष 1984 में साधुओं का जत्था तीन हाथियों के साथ बैला पसरा पहुंचा हुआ था। उनमें से एक हाथी स्वर्ग सिधार गया। तब उसकी पार्थिव काया का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर दफना कर किया गया। तत्पश्चात् 1988 में श्रीगणेश मंदिर की स्थापना शहर की प्रतिष्ठित ब्राम्हण दंपत्ति स्व.चंद्रदेव चौधरी, श्रीमती ऊषादेवी चौधरी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई। इस पुनीत कार्य के प्रेरणास्रोत पंडित सत्यदेव चौधरी थे। तदुपरांत 1991 में पूज्य गुरू मौनी बाबा का पदार्पण हुआ। जिन्होंने इस मंदिर में विष्णु महायज्ञ किया। उन्होंने ही इस मंदिर को मिथला धाम का रूप देने की प्रेरणा दी। इस मंदिर में धाम की तरह मूर्तियां स्थापित हैं। संगमरमर की गणेश प्रतिमा को भूतल से प्रथम तल पर स्थापित किया गया है। वहीं बाजू के गर्भगृह में सिया-राम की युगल प्रतिमा स्थापित है। वहीं पीछे गलियारे में देवी माता की प्रतिमायें स्थापित है। शिव पंचायत भी है। प्रथम तल पर ही इन मूर्तियों के सामने विशाल सभागार को भव्यता प्रदान करने का काम जारी है। मिथला धाम में दक्षिणमुखी हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा बैठी मुद्रा मे स्थापित है।मंदिर में वर्ष भर नियमित पूजा पांच पंडित मिलकर करते हैं। इस मिथलाधाम में अगहन शुक्ल पंचमी को राम जानकी विवाह का आयोजन विधिविघान से कराया जाता है। अनन्त चर्तुदशी को इस मंदिर में रिद्धि-सिद्धि सहित गजानन स्वामी की विशेष पूजा आराधना की जाती है।

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