राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि लोगों के मन में यह बैठ जाता है कि बहुत प्रयास करने के बाद भी हम सफल नहीं हो पा रहे हैं और वह प्रयास करना छोड़ देता है। उन्होंने कहा कि प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि समस्या बाद में पैदा होती है, हल पहले निकल जाता है,जरूरत है तो उसे ढूंढने की।
समता भवन में आज जैन संत ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि हमारे करम कमजोर होते हैं किंतु हमारे प्रयास से पुरुषार्थ सफल होता है। सम्यक दर्शन के बहुत सारे उपाय दान, सील,तप के साथ एक उपाय अहोभाव भी है। उन्होंने कहा कि ग्राहकी ना हो तो दुकानदार को चिंता होती है, नौकर को नहीं। क्योंकि दुकानदार के साथ अहोभाव जुड़ा होता है। भावों की चिंता बाद में करिए पहले अहोभाव की चिंता करें। अहोभाव की चिंता करें तो भाव बाद में आ ही जाएगा। सारी चीजें विधिवत कार्य करने का भाव है,अहोभाव।
संत श्री ने कहा कि आप अपनी सामान्य क्रियाओं में भी अहोभाव को खींच कर लाएं। जिन शासन ने अनेक मार्ग हैं जो हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं। दया, अहिंसा और अहोभाव यह सब मार्ग ही हैं जो आपको मंजिल तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों को करने में वर्षों लग जाते हैं अहोभाव से वे कार्य चंद मिनट में ही हो जाते हैं। हमारी सारी क्रियाओं में यदि अहोभाव जुड़ जाए तो हम अपनी यात्रा जल्द ही पूरी कर लेंगे। उन्होंने कहा कि यात्रा लंबी नहीं है, संक्षिप्त यात्रा है, किंतु कठिनाई हमारे भीतर है जो यात्रा को लंबी बना देती है। जिस व्यक्ति को एक बार परम सुख की अनुभूति हुई तो वह लोभ,मोह जैसे कषायों वाली गंदगी में गिरेगा नहीं। उन्होंने कहा कि सफल होना है तो प्रयास जारी रखें और अपने हर कार्य में अहोभाव रखें।