Pakistan F-16 fighters: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलटते हुए पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय मदद को मंजूरी दी है. पाकिस्तान को यह वित्तीय मदद इसलिए दी जा रही है ताकि वह वर्तमान और भविष्य में आतंकवाद के खतरों से निपट सके. पिछले चार साल में इस्लामाबाद को दी जा रही यह सबसे बड़ी सुरक्षा सहायता है. लेकिन अमेरिका की इस मदद से भारत के लिए चुनौती बढ़ गई है क्योंकि पाकिस्तान इस आर्थिक मदद के जरिए अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा सकता है.
सैन्य ताकत में होगा इजाफा
पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत और रक्षा विशेषज्ञ जी पार्थसारथी का कहना है कि अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को इतनी बड़ी सैन्य मदद देना भारत के लिए चिंता की बात है. इससे साफ जाहिर है कि पाकिस्तान इसके जरिए अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा क्योंकि F-16 विमान में एडवांस रडार सिस्टम और मिसाइल क्षमता पहले से ही मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने इस कदम से पाकिस्तान को भारत के बराबर ताकतवर बनाने की कोशिश कर रहा है.
पार्थसारथी ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले के बाद उसे साफ सिग्नल भेजा जाना चाहिए और भारत को अपनी आपत्ति दर्ज करानी चाहिए. ऐसा सिर्फ राजनीतिक स्तर पर नहीं बल्कि कार्रवाई करके भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे नजरअंदाज करना किसी भी तौर पर मुमकिन नहीं है. ट्रंप प्रशासन ने 2018 में आतंकवादी संगठनों अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर उसे दी जाने वाली करीब दो अरब डॉलर की वित्तीय सहायता सस्पेंड कर दी थी जिसे अब बहाल किया गया है.
आतंकवाद से लड़ने के नाम पर मदद
अमेरिकी संसद को दिए एक नोटिफिकेशन में विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए संभावित विदेश सैन्य बिक्री (FMS) को मंजूरी देने का फैसला लिया है. मंत्रालय ने दलील दी कि इससे इस्लामाबाद को वर्तमान और भविष्य में आतंकवाद के खतरों से निपटने की क्षमता बनाए रखने में मदद मिलेगी. विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार ने कांग्रेस को प्रस्तावित FMS की सूचना दी है ताकि पाकिस्तान की वायु सेना के F-16 प्रोग्राम को बनाए रखा जा सके. पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम सहयोगी है.’