यूं ही नहीं लिया गया था जयपुर में कांग्रेस विधायकों की बैठक,जानें पर्दे के पीछे की कहानी

 

नई दिल्ली. राजस्थान में चल रहे राजनीतिक गतिरोध पर कांग्रेस आलाकमान बेहद नाराज है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान से जुड़ी पूरी रिपोर्ट राज्य के कांग्रेस के प्रभारी और महासचिव अजय माकन से ली थी. सूत्रों ने बताया कि 24 सितंबर को अजय माकन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर मिले थे. इस दौरान सोनिया गांधी ने राज्य की पूरी रिपोर्ट अजय माकन से ली थी. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में अशोक गहलोत की संभावित उम्मीदवारी और संभावित जीत को ध्यान में रखते हुए एक व्यक्ति एक पद के फार्मूला को ध्यान में रखकर राजस्थान में अपनी तैयारी पहले कर लेना चाहती थी.

विधायक दल की बैठक से पहले शाम को कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल का फोन अजय माकन को आता है. बातचीत होती है कि अगले विधायक दल के नेता के चयन के लिए राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलानी है ताकि एक लाइन का प्रस्ताव पारित हो. महासचिव के सी वेणुगोपाल ये भी जानकारी देते हैं की पर्यवेक्षक के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे रहेंगे. के सी वेणुगोपाल से बात करने के बाद अजय माकन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोन करते हैं कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने का निर्देश हुआ है. प्रभारी अजय माकन समय और स्थान भी अशोक गहलोत को तय करने को कहते हैं.

गहलोत ने तय की थी समय और बैठक का स्थान
25 सितंबर को शाम 7 बजे का वक्त और बैठक का स्थान मुख्यमंत्री आवास हो ये अशोक गहलोत ही तय करते हैं. प्रभारी माकन से बातचीत के बाद गहलोत पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे को भी फोन करते हैं और विधायक दल की बैठक को लेकर बात करते हैं. राजस्थान में कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से निर्देश दिया जाता है की विधायकों को फोन किया जाए.

समय और स्थान तय होने के बाद 24 सितंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ट्वीट के जरिए राजस्थान के विधायक दल की बैठक के बारे में जानकारी देते हैं. 25 सितंबर को प्रभारी और पर्यवेक्षकों के जयपुर पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही राजस्थान के सियासी ड्रामे की शुरुआत हो गई. और जिसका नतीजा ये रहा की आखिरकार विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जा सकी. और गहलोत गुट के विधायकों ने तीन शर्तें प्रभारी और पर्यवेक्षक के सामने रख दी. वन टू वन मिलने को भी विधायक राजी नहीं हुए.

अगले दिन यानी 26 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे से राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की होटल में मुलाकात के बाद प्रभारी और पर्यवेक्षक दिल्ली लौटे और मौखिक रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी.

error: Content is protected !!