नई दिल्ली. सफलतापूर्वक परीक्षणों को पास करने के बाद भारतीय सेना को जल्द ही एक और आर्टिलरी गन सिस्टम मिल सकता है. न्यूज़ एजेंसी ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) परीक्षण के बाद जल्द सेना को सौंपा जा सकता है. रक्षा सूत्रों के अनुसार ATAGS प्रणाली को एक ग्रीनफील्ड परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है. यह डीआरडीओ और भारतीय निजी क्षेत्र के बीच एक सफल साझेदारी का परिणाम है.
सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि भारतीय सेना मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन के लिए मारक क्षमता बढ़ाने के लिए के-9 वज्र को शामिल करने के लिए तैयार है. इनको शामिल करने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की मंजूरी भी मिल गई है. आपको बता दें कि वज्र ने भारतीय सेना की क्षमता को मारक क्षमता और एक्शन के मामले में कई गुना बढ़ा दिया है. फिलहाल सेल्फ प्रोपेल्ड गन वज्र देश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात की गई हैं .वहीं ATAGS का भी 15,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है.
क्या है ATAGS
ATAGS एक स्वदेशी लंबी दूरी की कैलिबर होवित्जर तोप है जिसे एटीएजीएस परियोजना के तहत डीआरडीओ द्वारा 2013 में सेना की पुरानी तोपों को आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू किया गया था. जंग खा रही पुरानी तोप के मुकाबले ATAGS की आयुध प्रणाली में मुख्य रूप से बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, मजल ब्रेक और रिकॉइल मैकेनिज्म होता है, जो सेना को लंबी दूरी, सटीकता और 155 मिमी कैलिबर के साथ गोला बारूद को फायर करने के लिए अधिक मारक क्षमता प्रदान करता है. साथ ही इस तोप को लंबे समय तक रखरखाव मुक्त और इसके रिलाएबल ऑपरेशन को सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक ड्राइव के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है.
52 किलोमीटर तक साध सकती है निशाना
ATAGS तोप आंखों से न दिखने वाले टारगेट पर भी बेहद सटीक निशाना साध सकती है. यह आर्टिलरी गन अपनी श्रेणी की तोपों की तुलना में दो टन हल्की है और इसे बेहतर सटीक और अधिक रेंज प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. DRDO के अनुसार 52 किलोमीटर की रेंज के साथ एक समय में लगातार पांच राउंड फायरिंग करने में सक्षम ATAGS दुश्मन को संभलने तक का मौका नहीं देती है. फिलहाल रक्षा विशेष्ज्ञ ATAGS की रेंज को रैमजेट प्रोपल्शन की मदद से 60 किलोमीटर से अधिक करने के लिए कार्य कर रहे हैं.