नई दिल्ली. कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पर चुनाव और राजस्थान की सियासी उठापटक के बीच बड़ी खबर है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से इस्तीफे की पेशकश की है. गहलोत ने यहां तक कह दिया है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उससे पहले उन्होंने यह भी कही था कि अब मुख्यमंत्री पद का फैसला सोनिया गांधी करेंगी.
जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री गुरुवार को 10 जनपथ पहुंचे और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. बताया जाता है कि यह मुलाकात एक घंटे से ज्यादा हुई. इसके बाद गहलोत ने कहा- ‘मैंने कांग्रेस के लिए वफादार सिपाही के रूप में काम किया. सोनिया जी के आशीर्वाद से मैं तीसरी बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बना. दो दिन पहले जो घटना हुई उसने मुझे हिला कर रख दिया. मुझे उसका बड़ा दुख हुआ है.’
नैतिक जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सका- गहलोत
उन्होंने कहा कि मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है. विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी. मैं उसे करा नहीं पाया. इस माहौल में मैंने फैसला किया कि अब मैं अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ूंगा. उनके मुख्यमंत्री पर बने रहने से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि इस बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी.
विधायकों ने की थी यह हरकत
गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन राजस्थान पहुंचे थे. लेकिन, मंत्रियों और विधायकों की हरकतों ने उन्हें परेशान कर दिया. विधायकों ने उनसे मुलाकात नहीं की और उल्टा अपनी ओर से शर्तें रख दीं. विधायकों ने स्पष्ट कह दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट को वह सीएम के रूप में नहीं देखना चाहते.
पर्यवेक्षकों ने गहलोत को दी क्लीन चिट
इसके बाद दोनों पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी थी. बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में राजस्थान के सियासी संकट के लिए अशोक गहलोत को क्लीन चिट दे दी गई थी. पर्यवेक्षकों ने उन्हें इस घटनाक्रम के लिए तकनीकी तौर पर कहीं जिम्मेदार नहीं ठहराया. हालांकि इसमें विधायकों की समानांतर बैठक बुलाने वाले प्रमुख नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुसंशा की गई है.