नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कानून के उल्लंघन के आरोप में गांधी परिवार से जुड़े गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय द्वारा 2020 में गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति की जांच के बाद यह कार्रवाई की गई. इस कदम के बाद संगठन विदेशी संस्थाओं से कोई फंड हासिल नहीं कर पाएगा.
एक अधिकारी ने कहा कि ‘राजीव गांधी फाउंडेशन के खिलाफ जांच के बाद उसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.’ अधिकारी ने कहा कि एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने की सूचना आरजीएफ के पदाधिकारियों को भेज दी गई है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ की अध्यक्ष हैं, जबकि इसके अन्य न्यासियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कांग्रेस के नेता एवं सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं. आरजीएफ की वेबसाइट के अनुसार उसे 1991 में स्थापित किया गया. वेबसाइट में कहा गया है कि आरजीएफ ने 1991 से 2009 तक महिलाओं, बच्चों और अक्षम लोगों को मदद देने के अलावा स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया.
2020 में जब लद्दाख में भारत और चीन के बीच टकराव हुआ था, तब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास और लक्जमबर्ग के ‘टैक्स हेवन’ से 2005 और 2009 के बीच लगातार चंदा मिलता था. अवैध विदेशी धन हासिल करने के लिए इस संगठनों के खिलाफ आरोप लगाए जाने के बाद 2020 में एक जांच शुरू की गई थी. आयकर और गृह मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से अतिरिक्त निदेशक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में की गई एक जांच में पाया गया कि संगठन ने कुछ विदेशी संस्थाओं से अवैध रूप से धन हासिल किया है.