नई दिल्ली. बढ़ते खर्च और राजकोषीय घाटे से जूझ रही सरकार के लिए अच्छी खबर है. अक्टूबर में दूसरी बार जीएसटी वसूली रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हुई है. वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को आंकड़े जारी कर बताया कि अक्टूबर दूसरा ऐसा महीना रहा जब जीएसटी वसूली सबसे ज्यादा हुई है. इसकी बड़ी वजह त्योहारी सीजन में हुई बंपर खरीदारी रही.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2022 में कुल जीएसटी वसूली 1,51,718 करोड़ रुपये की हुई है. इससे पहले अप्रैल, 2022 में सबसे ज्यादा जीएसटी वसूली हुई थी जब सरकार को पहली बार 1.50 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था. मंत्रालय के अनुसार, इस बार केंद्रीय जीएसटी के रूप में 26,039 करोड़ की वूसली हुई है, जबकि राज्यों की जीएसटी के मद में 33,396 करोड़ रुपये मिले. इसके अलावा एकीकृत जीएसटी जिसमें केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा है, उसके मद में 81,778 करोड़ रुपये मिले हैं. इसमें आयात शुल्क के रूप में हुई वसूली की बड़ी हिस्सेदारी है. इस बार आयात शुल्क के रूप में 37,297 करोड़ रुपये मिले, जबकि 10,505 करोड़ रुपये सेस के रूप में आए हैं.
घरेलू लेनदेन में भी अव्वल रहा अक्टूबर
बीते महीने न सिर्फ जीएसटी वसूली का आंकड़ा दूसरा सबसे बड़ा रहा, बल्कि इस दौरान घरेलू लेनदेन का आंकड़ा भी दूसरा सबसे ज्यादा रहा है. जीएसटी सिस्टम लागू होने के बाद अक्टूबर नौवां ऐसा महीना है, जबकि जीएसटी वसूली 1.4 लाख करोड़ से ज्यादा रही है. इतना ही नहीं इसमें से आठ महीने इसी साल के हैं और अक्टूबर लगातार आठवां ऐसा महीना था जब टैक्स वसूली 1.4 लाख करोड़ के पार रही.
सितंबर में हुई थी जबरदस्त खरीदारी
अक्टूबर के जीएसटी आंकड़े सितंबर में जेनरेट किए गए ई-वे बिल से मिलते हैं. दरअसल, सितंबर में 8.3 करोड़ ई-वे बिल जेनरेट किया गया, जो अगस्त के 7.7 करोड़ ई-वे बिल से काफी ज्यादा था. तभी यह अंदाजा हो गया था कि अक्टूबर में जीएसटी वसूली नए मुकाम पर जा सकती है. ई-वे बिल 50 हजार से ज्यादा के माल की सप्लाई पर जरूरी होता है. इसमें इजाफा होने से पता चला कि त्योहारी सीजन में सितंबर महीने के दौरान खूब माल की सप्लाई की गई है.
मैन्युफैक्चरिंग ने पकड़ा जोर
इससे पहले एसएंडपी ग्लोबल इंडिया की ओर से जारी मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में भी तेजी देखी गई. इस मासिक सर्वे में पता चला कि सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है. सितंबर का पीएमआई जहां 55.1 था, वहीं अक्टूबर में यह बढ़कर 55.3 हो गया. इस दौरान महंगाई और लागत बढ़ने के बावजूद उपभोक्ता खपत में इजाफा देखा गया, जिससे उत्पादन को बढ़ावा मिला.