बैगा ग्रुप की अनूठी पहल: 31 वर्षों से चली आ रही देवउठनी एकादशी पर आग जलाने की परंपरा रखी बरकरार

 

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। छत्तीसगढ़ की लोक कलाकारों और लोक संस्कृति को सजोए रखने में अपनी  अहम भूमिका निभाने वाली संस्कारधानी की संस्था बैगा ग्रुप राजनांदगांव द्वारा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादसी को तुलसी विवाह के साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादसी के अवसर पर भुर्री (आग) जलाकर शीत ऋतु का स्वागत कल रात्रि किया गय।

बैगा ग्रुप द्वारा मिली जानाकरी के अनुसार महुवा झरे, नई माने काली, हर हर भोला के साथ ही 40 से अधिक आडिओ और विडियो कैसेट सुवा, ददरिया, कर्मा, जस गीत के माध्यम से लोक संस्कृति व लोक कलाकारों को हमेशा आगे लाने वाली नगर की संस्था बैगा ग्रुप ने अपनी 31 साल से भी अधिक समय से छत्तीसगढ़ की पौराणिक परंपरा देवउठनी एकादसी पर भगवान सालिगराम व तुलसी माता के विवाह पश्चात भूर्री जलाने की प्रथा को इस बार भी आयोजित किया। इस बार 4 नवंबर को जेठउनी के अवसर पर मान्यता अनुरुप पुरानी टोकनी, सुपा, झउहा को एकत्रित कर बैगा ग्रुप ने अपने नियमित बैठक स्थल पर कल रात्रि में भूर्री प्रज्ज्वलित कर शीत ऋतु के आगमन का स्वागत किया। वहीं इस अवसर पर एक दूसरे को तुलसी विवाह की बधाई व शुभकामनाएं दी गई। इस दौरान तुलसी विवाह एवं देवउठनी एकादशी पर शास्त्र सम्मत सत्संग में भाग लेते हुए इस पर्व को हमारी छत्तीसगढ़ी परंपरा से जोड़कर विभिन्न मत मतान्तरों के माध्यम से चर्चा की गई। एकादशी पर आयोजित भुर्री प्रज्ज्वलन के अवसर पर लोक कलाकारों व संस्कृति को संजोए रखने वाले बैगा ग्रुप के राजेश मारु, रचनाकार  हर्ष कुमार बिंदू, गणेश प्रसाद शर्मा ‘गन्नू’, स्वरधारा के संयोजक विष्णु कश्यप, प्रसिद्ध लोक संगीतकार  योगेश ठावरे टुक्का, नारायण सोनी,  राजेश सोनी, विवेक रंजन सोनी एवं मनोज सेन के साथ ही अन्य सदस्यगण भी उपस्थित थे।

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