आजादी के पहले से चली आ रही मोहारा मेला की परंपरा

 

तीन दिनी मोहारा मेला व पूर्णिमा स्नान को लेकर तैयारियां जोरों से

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। शहर सीमा के अंतर्गत शिवनाथ नदी किनारे मोहारा ग्रामीण वार्ड के कछार यानी मैदान में तीन दिनी मोहारा मेला की तैयारियां जोरों से चल रही है। वहीं नदी घाट में पूर्णिमा स्नान को लेकर भी तैयारियां हैं। मंड़ई,मेला और पूर्णिमा स्नान के लिये 7,8व 9 नवंबर को परंपरागत रूप से हजारों लोगों की भीड़ उमड़ने की मद्देनजर नगर पालिक निगम व्यवस्था बनाने में दिनरात लगा हुआ है। वहीं मोहारा वार्डवासी भी इस मंड़ई मेला को अपने गांव या अपने वार्ड का वार्षिक उत्सव मनाते हुए व्यवस्था बनाने में हर संभव सहयोग दे रहे हैं।
देश की स्वतंत्रता के पहले से चली आ रही परंपरा
वार्ड पार्षद श्रीमती सरिता अवधेश प्रजापति का कहना है कि मोहारा मंडई व मोहारा शिवनाथ नदी घाट में पुन्नी नहाने की परंपरा अंग्रेजों की गुलामी से भारत के मुक्त होने से पहले की है। इस मेले के बहाने देश के स्वातंत्र्य वीर एक जगह इकट्ठे होकर स्वाधीनता आंदोलन को गति देने योजनायें बनाते थे। आज शासकीय जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार होता है। अब इस गौरवशाली कार्तिक पूर्णिमा मेला की जगह सिमटती जा रही है। मेला भले ही करीब 7 साल से एक दिन की बजाय तीन दिन का हो गया है। पहले 12 -15 एकड़ कछार में यह मेला लगता था। अब बमुश्किल 7 एकड़ में लगता है। इसका कारण है कि उस जगह में ऑक्सीजोन,तटबंध और एसएलआर सेंटर या कचरा संग्रहण व छंटाई केंद्र का बन जाना व कुछ और निर्माण होना। प्राचीन महाकाल मंदिर 12-13 साल पहले तट की मिट्टी कटाव बढते जाने से बाढ़ की चपेट में आकर जमींदोज हो गया है। उसकी जगह भले ही नया मंदिर बनाया गया है। मेला देखने आने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही हैं और डेढ़ लाख से पार हो जाती है।

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