EWS फैसले पर अमित शाह ने कहा- वक्त के साथ बदलने चाहिए नियम-कानून

 

गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण यानी ईडब्ल्यूएस आरक्षण (EWS Reservation) पर आज (सोमवार को) आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की प्रतिक्रिया सामने आई है. ज़ी मीडिया को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को संवैधानिक माना है. EWS आरक्षण संवैधानिक तरीके से लागू किया गया है. समय के साथ नियम और कानून भी बदलने चाहिए.

फैसले का समाज के लोगों ने किया स्वागत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार के इस फैसले का समाज के लोगों ने स्वागत किया है. कुछ लोगों ने इस फैसले को चुनौती दी. मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण असंवैधानिक नहीं है. ईडब्ल्यूएस आरक्षण को पूर्ण संवैधानिक तरीके से लागू किया गया.

गैर-आरक्षित जातियों को मिला 10 प्रतिशत आरक्षण

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समाज में बहुत से लोग सोचते थे कि मेरे पास कोई व्यवस्था नहीं है. समाज में बहुत से लोग सोचते थे कि मेरे पास सुविधा नहीं है. समाज के कई लोगों के मन में यह बात थी कि मैं भी आर्थिक रूप से पिछड़ा हूं. मोदी सरकार ने गैर-आरक्षित जातियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की.

सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर सोमवार को अपनी मुहर लगा दी. ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करनी वाली बेंच के पांच में से तीन जजों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को सही ठहराया. सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. इसमें सीजेआई यूयू ललित के अलावा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जे. बी. परदीवाला शामिल थे.

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपने फैसले में कहा कि आर्थिक मापदंड को ध्यान में रखते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे या समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटे की 50 प्रतिशत की सीमा सहित संविधान की किसी भी आवश्यक विशेषता को क्षति नहीं पहुंचाता, क्योंकि कोटे की सीमा पहले से ही लचीली है.

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने जस्टिस माहेश्वरी के विचारों से सहमत होते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण वैध है. जस्टिस पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया. सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस भट्ट ने बेंच के अन्य तीन जजों के फैसलों से असहमति जताई. सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस भट्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण भेदभावपूर्ण और संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है.

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