किसान ध्यान दें: पराली में लगाई आग तो नहीं मिलेंगे पीएम किसान सम्मान निधि के पैसे

 

नई दिल्‍ली. धान की पराली में आग (Paddy Stubble Burning) लगाने की बढ़ती घटनाओं के कारण राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली सहित पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश में कई स्‍थानों पर पर्यावरण प्रदूषण बढ़ गया है. पराली में आग लगाने वाले किसानों पर अब उत्‍तर प्रदेश सरकार ने सख्‍ती करनी शुरू कर दी है. पहली बार फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना किया जाएगा. वहीं, यदि कोई किसान 3 बार पराली जलाता पकड़ा जाता है तो उसे मिलने वाले सभी सरकारी अनुदानों और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi ) पर रोक लगा दी जाएगी.

धान की फसल की कटाई के बाद पराली को ठिकाने लगाने के लिए किसान इसमें आग लगा देते हैं. किसानों का कहना है कि पराली के प्रबंधन की उचित तकनीक और साधन उपलब्‍ध न होने के कारण उन्‍हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी ओर भयंकर पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है. इस बार पंजाब में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है, जबकि हरियाणा और यूपी में आग लगाने की कम घटनाएं हुई हैं.

नहीं मिलेगी किसान सम्‍मान निधि
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत जो किसान खेत में पराली जलाते पाए जाएंगे, उनको किसान सम्मान निधि का फायदा नहीं मिलेगा. अगर कोई पराली जलाता पकड़ा जाता है तो एक हेक्टेयर में फसल अवशेष जलाने पर 2500 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. 2 से 5 हेक्टेयर में फसल अवशेष जलाने पर 5000 रुपये का जुर्माना का प्रावधान है. वहीं, पांच हेक्टेयर से अधिक में फसल अवशेष जलाने पर 15000 रुपये तक का जुर्माना किसान पर लगाया जा सकता है.

सैटेलाइट से ली जा रही हैं तस्‍वीरें
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अरविंद सिंह ने बताया कि पराली जलाने की लगातार शिकायतें मिलती थी. लेकिन, सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर एक्शन लेने से पिछले साल करीब 23 मामले सामने आए थे. जिले में अभी तक पराली जलाने का सिर्फ एक मामला सामने आया है. सिंह का कहना है कि खेत में पराली जलाना पर्यावरण के लिए खतरा है. सरकार भी इसको लेकर काफी सख्त है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पराली की घटनाओं में गिरावट देखने को मिली है. पिछले साल के मुकाबले उत्तर प्रदेश में अब तक 38 फीसदी कम पराली जलाई गई है.

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