दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाआ जाता रहा, जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था. आजादी के बाद जरूरत थी कि गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडों को बदला जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. देश के हर कोने में मां भारती के वीर बेटे-बेटियों ने कैसे आक्रमणकारियों का मुकाबला किया, इस इतिहास को जानबूझकर दबा दिया गया.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास, सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है, बल्कि विजय का इतिहास है. पीएम ने कहा कि इतिहास को लेकर, पहले जो गलतियां हुईं, अब देश उनको सुधार रहा है. दिल्ली में हो रहा ये कार्यक्रम इसका प्रतिबिम्ब है. लचित बोरफुकन का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थों को नहीं देश हित को प्राथमिकता दें.
पीएम ने कहा कि उनका जीवन प्रेरणा देता है कि हम परिवारवाद से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचें. उन्होंने कहा था कि कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता. आज का भारत ‘राष्ट्र प्रथम’ के आदर्श को लेकर आगे बढ़ रहा है. हमारी ये जिम्मेदारी है कि हम अपनी इतिहास की दृष्टि को केवल कुछ दशकों तक सीमित न रखें. इस दौरान पीएम ने कहा कि असम का इतिहास भारत की यात्रा में बड़े गौरव का विषय है. हम भारत के विभिन्न विचारों, विश्वासों और संस्कृतियों को एकजुट करने में विश्वास करते हैं. जब किसी बाहरी ताकत से अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने की बात आती है तो भारत का प्रत्येक युवा योद्धा होता है. भारत अत्याचार करने वालों को करारा जवाब देने की क्षमता रखता है. असम के लोगों ने आक्रमणकारियों का सामना किया और उन्हें कई बार हराया. मुगलों ने गुवाहाटी पर अधिकार कर लिया, लेकिन लचित बोरफुकन जैसे वीरों ने इसे अत्याचारियों से मुक्त करा लिया.