चरण स्पर्श करना या पैर छूना हिन्दू संस्कृति में सदाचार का प्रतीक है. अपने गुरुजन, बड़े-बूढों और माता-पिता का पैर छूना या चरण स्पर्श एक ऐसा ही संस्कार है. जिसमें अनेक रहस्य और महत्व छूपे हुए है. आजकल लोग इस संस्कार का महत्व नहीं समझने की वजह से इसे नहीं करते या व्यर्थ की खानापूर्ति मान लेते है. लोग कहते हैं पैर छूने से क्या होता है? हमारे ऋषि-मुनियों और विद्वानों के लाखों साल पहले ही समझ लिया था, पैर छूने के सूक्ष्म रहस्यों को, उनके महत्त्व को पहचाना फिर उन बातों को हमारी दिनचर्या में ऐसे जोड़ा कि वो हमारे संस्कार बनते चले गए.
पैर छूने के फायदे 7
विज्ञान इस बात को सिद्ध कर चुका है कि हमारे शरीर के चारो तरफ एक आभामंडल होता है. व्यक्ति की ऊर्जा-स्तर के अनुसार हर मनुष्य का आभा मंडल अलग ऊर्जा तीव्रता और अलग रंग का होता है. हमारे विचारों और व्यवहार के बदलने से इनमें भी परिवर्तन होता रहता है. जैसे सकारात्मक या आध्यात्मिक सोच वाले व्यक्ति का आभा-मंडल का प्रभाव किसी पापी, अहंकारी व्यक्ति के आभामंडल से बिलकुल विपरीत होगी
1) जब हम किसी के पैर छूते हैं तो इससे पता चलता है कि हम अपने अहम् से परे होकर उसके लिए गुरुता, सम्मान और आदर की भावना से चरण स्पर्श कर रहे है. किसी के समक्ष झुकना समर्पण और विनीत भाव को दर्शाता है.
2) जिसके चरण स्पर्श करते हैं, उस पर तुरंत मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है. उसके हृदय से प्रेम, आशीर्वाद और संवेदना, सहानुभूति की भावनाएं निकलती है जो उसकी आभामंडल में परिवर्तन लाती है.
3) पैर छूने से हम उस व्यक्ति के आभामंडल से अपने आभामंडल में इन ऊर्जाओं को ग्रहण करते है, जो हमारे मनो-मष्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती है. यह हमारे आभामंडल को अधिक ऊर्जावान बनाती है.
4) चरण स्पर्श करने से हमें अपने नकारात्मक सोच-विचारों से मुक्ति दिलाती है. बड़े-बुजुगों के आशीर्वाद हमारे सौभाग्य में सहायक बनते है. शास्त्रों में कहा गया है कि बड़ों को नियमित प्रणाम करने से आयु, विद्या, यश, बल बढ़ता है
5) भारतीय ज्योतिष में भी बताया गया है कि अपने से उम्र में बड़े-बुजुर्गों का चरण छूने से कई प्रतिकूल ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं.
6) सही ढंग से, अच्छी भावना के साथ चरण स्पर्श करना चाहिए जिससे कि वह व्यक्ति आपसे दिए गए सम्मान और आदर को अनुभव कर सके और उसके मन में आपके प्रति प्रेम और आशीर्वाद की भावनाएं उत्पन्न हो.
7) एक बात यह ध्यान रखें कि जिसका आप पैर छुएँ वो अच्छे आचार-व्यवहार, आचरण वाले हों. यदि आपको लगता है कि वह व्यक्ति दुष्प्रवृत्ति का है तो उसका पैर छूने से लाभ नहीं होगा. इसलिए हमें विवेक के साथ बड़ो के पैर छूना चाहिए और उनके आशीर्वाद का लाभ ग्रहण करना चाहिए.