22047 तक आत्मनिर्भर होगी भारतीय नौसेना, INS विक्रांत हमारी स्वदेशी क्षमता का प्रतीक: नेवी चीफ

 

नई दिल्ली: नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार ने शनिवार को कहा कि भारतीय नौसेना ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वह 2047 तक ‘आत्मनिर्भर’ बन जाएगी. नौसेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि नेवी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सैन्य एवं अनुसंधान जहाजों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए है. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने पिछले एक साल में बहुत उच्च परिचालन गति हासिल की है और समुद्री सुरक्षा की अहमियत पर अधिक जोर दिया गया है, क्योंकि भारत आगे बढ़ रहा है.

नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘सरकार ने हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं. हमने आश्वासन दिया है कि भारतीय नौसेना 2047 तक आत्मनिर्भर बन जाएगी. यूक्रेन संघर्ष जैसी हाल की वैश्विक घटनाओं ने दर्शाया है कि हम अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते. विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का इंडियम नेवी में कमीशन होना भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी. हमारा लक्ष्य देश के लिए मेड-इन-इंडिया सुरक्षा समाधान तैयार करना है. नौसेना में करीब 3,000 अग्निवीर आ चुके हैं, जिनमें से 341 महिलाएं हैं. हम पहली बार महिला नाविकों को शामिल कर रहे हैं. अगले साल हम महिला अधिकारियों को सभी शाखाओं में शामिल करने पर विचार कर रहे हैं, न कि केवल 7-8 शाखाओं में जो आज तक सीमित हैं.’

उन्होंने कहा, ‘INS Vikrant पहला स्वदेशी विमान वाहक, हमारे प्रधानमंत्री द्वारा कोच्चि में कमीशन किया गया था. यह नौसेना नेतृत्व, डिजाइनरों, योजनाकारों, कोचीन शिपयार्ड के श्रमिकों, उद्योग और अन्य सहायक एजेंसियों और कर्मियों की पीढ़ियों के लगातार प्रयासों को दर्शाती है. आईएनएस विक्रांत हमारी स्वदेशी क्षमता का प्रतीक है. यह हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है. इस उपलब्धि ने दुनिया में भारत के कद को बढ़ाया है. मुझे यकीन है कि विक्रांत आने वाले वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गर्व से तिरंगा फहराएगा. वास्तव में यह नौसेना की आत्मानिर्भरता का मशाल वाहक है. बहुत कम देश हैं जिनके पास एक विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है और अब हम उन विशिष्ट देशों में से एक हैं.’

नेवी लैंगिक-तटस्थ बल है, जहां हम केवल क्षमता देखते हैं
नेवी चीफ ने कहा, ‘हम महिला अग्निवीरों को अलग से शामिल नहीं कर रहे हैं. उन्हें उनके पुरुष समकक्षों की तरह ही शामिल किया जा रहा है. यह चयन का एक समान तरीका है. वे समान परीक्षणों से गुजरती हैं. इन महिला अग्निवीरों को जहाजों, एयरबेसों, विमानों पर तैनात किया जाएगा. उन्हें हर चीज के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, जिस तरह एक सामान्य नाविक को प्रशिक्षित किया जाता है. प्रशिक्षण में कोई अंतर नहीं आने वाला है. हम एक लैंगिक-तटस्थ बल हैं, जहां हम केवल व्यक्ति की क्षमता देखते हैं, न कि उसका जेंडर.’ भारतीय नौसेना दिवस कल विशाखापट्टनम में मनाया जाएगा.

पहली बार दिल्ली से बाहर मनाया जाएगा नौसेना दिवस
नौसेना पहली बार अपना स्थापना दिवस राजधानी दिल्ली से बाहर बंगाल की खाड़ी से सटे विशाखापट्टनम में मना रही है. वायुसेना ने भी वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर इस साल राजधानी दिल्ली में न मनाकर चंडीगढ़ में मनाया था. और इन दोनों सेनाओं की तर्ज पर एक नए चलन का पालन करते हुए 15 जनवरी, 2023 को थल सेना दिवस भी दिल्ली से बाहर बेंगलुरु में मनाया जाएगा. देश की सुरक्षा में भारतीय नौसेना की उपलब्धियों के सम्मान में व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ में इंडियन नेवी की भूमिका की याद में हर वर्ष 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है.

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