केजरीवाल ने जीत लिया दिल्ली का दिल, 15 साल बाद MCD से बाहर कमल

 

Big reasons for AAP victory in MCD: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एमसीडी चुनाव के नतीजों (Delhi MCD Election 2022 Result) में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. पिछले 15 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज बीजेपी बाहर हो गई है. जबकि आम आदमी पार्टी की दिल्ली शहर में अब डबल इंजन वाली सरकार बन गई है. AAP की यह चुनावी जीत क्या सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छवि का परिणाम रही या बीजेपी को एंटी-इनकम्बेंसी का खामियाजा उठाना पड़ा है. हम आपको आम आदमी पार्टी की जीत के 5 पॉइंट बताते हैं, जिससे आप दिल्ली की जनता के मूड को पूरी तरह समझ जाएंगे.

बीजेपी को एंटी-इनकम्बेंसी लहर ले डूबी

बीजेपी पिछले 15 सालों से दिल्ली एमसीडी (Delhi MCD Election 2022 Result) की सत्ता पर काबिज थी. लेकिन कभी सफाई तो कभी भ्रष्टाचार की वजह से वह लगातार विवादों में रही. पार्टी के बड़े नेताओं ने एमसीडी पर गंभीरता से ध्यान देने के बजाय उसे स्थानीय नेताओं के भरोसे छोड़ दिया. वे स्थानीय नेता आम जनता के मुद्दों का समाधान कराने के बजाय हर वक्त केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को कोसने में लगे रहे. जिससे वोटर्स में बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ती चली गई और उन्होंने वोटों के जरिए उसे सबक सिखा दिया.

नहीं चली मामले को डाइवर्ट करने की ट्रिक

अपने 15 साल के शासन में जनता को हुई परेशानियों पर बात करने के बजाय बीजेपी ने चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी और उससे जुड़े नेताओं की छवि पर लगातार अटैक किया. जेल में बंद AAP के मंत्री सत्येंद्र जैन के वीडियो वायरल हुए. इन वीडियो के पीछे बीजेपी का हाथ माना गया. पार्टी के इस दांव ने कुछ हद तक काम भी किया और लोगों की आम आदमी पार्टी के प्रति सोच में बदलाव भी आया. इसके बावजूद वोटिंग के वक्त आम लोगों ने बीजेपी पर भरोसा करने के बजाय सफाई, निगम में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को फोकस करते हुए AAP को ही वोट दिया.

काम आई AAP की सधी हुई रणनीति 

AAP ने वर्ष 2017 के बाद से ही 2022 में होने वाले पार्षद के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी थी. इन 5 सालों के दौरान पूरी दिल्ली में पार्टी संगठन का विस्तार किया गया. नए-नए नेताओं और कार्यकर्ताओं को जोड़कर शहर के हर हिस्से में पार्टी को पहुंचाया गया. इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम में अफसरों-पार्षदों के भ्रष्टाचार पर अटैक करते हुए लगातार बीजेपी को कठघरे में खड़ा किया गया. इस सुनियोजित रणनीति का नतीजा रहा है कि पीएम मोदी की छवि भी दिल्ली में बीजेपी की लुटिया को डुबोने से नहीं बचा सकी.

केजरीवाल की छवि बीजेपी पर पड़ी भारी

दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी देश की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी है. पार्टी ने यह कमाल सीएम अरविंद केजरीवाल की इमेज के बल पर किया है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छवि ऐसे नेता की बन गई है, आम जनता से जुड़े अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, बिजली, पानी, सीवर, किसान और मजदूरों के कल्याण की बात करता है. जो सादगी से रहना पसंद करता है और भ्रष्टाचार से तनिक भी समझौता नहीं करता. इन खूबियों की वजह से केजरीवाल अपने आप में एक ब्रैंड बनते चले गए. केजरीवाल की इस छवि ने भी आम आदमी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में बड़ा योगदान दिया.

इन तबकों में पार्टी ने लगातार बढ़ाया आधार 

दिल्ली नौकरीपेशा और कारोबारियों का शहर है. आम पार्टी ने पूरी योजना के साथ इन दोनों तबकों में अपना आधार बढ़ाया. पार्टी की ट्रेडर विंग के जरिए  व्यापारी और कारोबारी तबके के नामचीन लोगों को संगठन से जोड़ा गया. उनकी समस्याओं को हल करवाने का वादा किया गया. इसी तरह आरडब्ल्यूए विंग के जरिए सेक्टरों और रिहायशी इलाकों में पैठ बढ़ाई गई. कहा गया कि अगर दिल्ली सरकार के साथ ही एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी सत्ता में आ जाती है तो लोगों को अपनी परेशानियों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. उन्हें सारी सुविधाएं डोर टू स्टेप मिलेंगी. पार्टी के इन वादों ने काम किया और लोगों ने एमसीडी चुनाव में AAP को जिताने का मन बना लिया.

केजरीवाल की सॉफ्ट हिंदुत्व रणनीति कर गई काम

बीजेपी ने तयशुदा रणनीति के जरिए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को एंटी-हिंदू घोषित करने का अभियान चलाया. इफ्तार पार्टी के दौरान सिर पर मुस्लिम टोपी पहने केजरीवाल की फोटो शेयर कर उन पर निजी अटैक किए गए. साथ ही उन्हें मुस्लिम हितैषी और हिंदू विरोधी साबित करने की कोशिश की गई. सीएम अरविंद केजरीवाल इस रणनीति को वक्त रहते भांप गए और सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति अपनाकर इस दांव को फेल कर दिया. पीएम मोदी की तरह उन्होंने भी अपनी चुनावी यात्राओं की शुरुआत मंदिरों से की और अपनी सभाओं में खुलकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगवाए. इससे बीजेपी की रणनीति फ्लॉप होकर रह गई.

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