लोग चाहते हैं कि आप आगे बढ़ें, लेकिन उनसे आगे नहीं
रायपुर। राजधानी में सेंट जोसफ कैथेड्रल बैरनबाजार में सभागार में अजमेर के प्रवचनकर्ता पास्टर सचिव क्लाइव और डॉ. नीतू पी. चौधरी चंडीगढ़ का तीन दिनी प्रार्थना महोत्सव प्रारंभ हुआ। आयोजक डॉ. आशीष चौरसिया, राजेश जाटवर आदि ने पास्टर सचिन क्लाइव व प्रवचनकर्ता डॉ. नीतू पी. चौधरी चंडीगढ़ की अगवानी की। इस मौके पर यूपी के मुरादाबाद की मैसी परिवार क्वायर ने आत्मा से परिपूर्ण होकर प्रभु के भजन सुनाए।
पास्टर क्लाइव ने समाज में एक – दूसरे की टांग खींचने वालों और धर्म स्थलों को राजनीति का अड्डा बनाने वालों को खरी- खरी सुनाई। उन्होंने मसीहीजनों से कहा कि समाज में लोग चाहते हैं कि आप आगे बढ़ें। आपकी तरक्की हो, लेकिन वे ये नहीं चाहते कि आप उनसे भी आगे बढ़ जाएं। पास्टर क्लाइव ने कहा कि जैसे ही उन्हें लगता है कि आप आत्मिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। प्रभु आपको आशीष दे रहे हैं। समाज में आपकी इज्जत हो रही है। आप समाज की भलाई के लिए अच्छे काम कर रहे हैं। लोग आपकी तारीफ कर रहे हैं। सराहना कर रहे हैं। आपकी प्रार्थनाओं और प्रभु के संदेशों का लोगों पर असर हो रहा है। वे आपसे जलन रखने लगते हैं। वे आपके दुश्मन बन जाते हैं। वे आपके खिलाफ न्यूक्लियर बम इस्तेमाल करने का प्रयास करते हैं यानी आपको बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
पास्टर सचिव ने कहा कि ये बातें नई नहीं हैं। जब प्रभु यीशु मसीह इस दुनिया में थे। सेवकाई कर रहे थे। धर्म के काम कर रहे थे। आश्चर्यकर्म कर रहे थे। लोगों को चंगा कर रहे थे। उनके वचनों यानी सुसमाचार प्रचार का प्रभाव समाज पर पड़ रहा था। तब शास्त्री, सदूकी व फरीसी उनसे चलने लगे थे। वे उसके खिलाफ सम्मति करने लगे कि कुछ तो करो, सारा संसार उसके पीछे हो चला है। धर्मज्ञाता व समाज के विद्वान होते हुए भी वे उसे घात करने की कोशिश में लग गए। प्रभु के खिलाफ उसके प्रिय शिष्य को ही लालच दिया गया। जिस चेले ने प्रभु के साथ जीने -मरने की कसम खाई थी, वह ही सबसे पहले पलट गया और भाग खड़ा हुआ। आप पर भी जब मसीबत आती है तो सबसे पहले आपके नियरेस्ट – डियरेस्ट ही साथ छोड़ते हैं। पौलुस प्रेरित को आराधना के सरकार ने वचन सुनाने बुलाया। काफी लोग सुसमाचार सुनने आए। अगले सब्त के दिन के लिए फिर पौलुस को सुसमाचार सुनाने आमंत्रित किया गया। सारा शहर आराधनालय के बाहर जमा हो गया। आराधनालय का मुखिया पौलुस से जलने लगा कि मुझे सुनने तो लोग आते नहीं। इसे सुनने जनमानस उमड़ पड़ा। ऐसा ही प्रभु यीशु के साथ होता था उन्हें सुनने इतनी भीड़ आती थी, कि पहाड़ भी लोगों से पट जाते थे। शास्त्रियों -फरीसियों को यही बुरा लगता था कि हमें सुनने तो आराधनालय में कम लोग ही पहुंचते हैं। इसके पीछे संसार क्यों? यहीं से होती है आत्मिक दुश्मनी की शुरूआत। पास्टर क्लाइव ने विश्वासियों से कहा कि संकट के वक्त, विपरीत समय में भी प्रभु पर अटल भरोसा रखे। क्योंकि जैसे प्रभु यीशु व पौलुस प्रेरित विपरीत परिस्थितियों के बाद इतनी आत्मिक ऊंचाइयों पर पहुंचे कि लोगों को उन्हें देखने काफी ऊपर नजर उठानी पड़ती है। इसी तरह विश्वासियों को प्रभु विपरीत हालात के बाद ज्योति से प्रज्वलित कर देते हैं।