Mamata Banerjee silence on Adani row: अडानी ग्रुप मामले पर विपक्षी दल बंटे हुए नजर आ रहे हैं. कांग्रेस ने पूरे मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर चौधरी ने अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर सीएम ममता की चुप्पी को लेकर कहा कि वो अब नरम पड़ गई हैं. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को इस मामले पर चुप रहने के लिए कहा गया होगा.
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ममता बनर्जी और अडानी के अच्छे रिश्ते हैं क्योंकि बंगाल में ताजपुर नामक एक पोर्ट बन रहा है. अडानी और मोदी जी के साथ ममता जी के रिश्ते में बदलाव आया है, इसलिए वे आजकल मोदी जी के खिलाफ भी कुछ नहीं बोलतीं. बंगाल में हम उन्हें ‘फाइटर’ कहते थे, लेकिन अब वह शांत हो गई हैं.’
‘ममता नहीं चाहेंगी कि अडानी पर कार्रवाई हो’
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस यूनिट के मुखिया अधीर रंजन चौधरी ने यह भी दावा किया कि ममता बनर्जी शायद ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगी जिससे अडानी ग्रुप के हितों को किसी भी तरह का कोई नुकसान पहुंचे, क्योंकि अडानी की कंपनी ही बंगाल के ताजपुर बंदरगाह को तैयार कर रही है.
क्या है ममता की चुप्पी की वजह?
चौधरी ने कहा, ‘बनर्जी की चुप्पी की केवल एक वजह हो सकती है- मोदी के साथ उनकी निकटता और अडानी से नई-नई दोस्ती. पश्चिम बंगाल का ताजपुर बंदरगाह अडानी समूह बना रहा है और इस संबंध में एक समझौते पर साइन भी किए गए हैं. दीदी ने अडानी समूह को हर तरह की मदद देने का वादा किया है. हो सकता है इसलिए भी उन्हें निर्देश मिले हों कि वो अडानी और केंद्र सरकार के खिलाफ चुप रहें.’
विपक्षी बैठक में शामिल नहीं हुईं ममता
बता दें कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने अडानी मामले पर जांच की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही में बाधा डाला है. इससे सदन की कार्यवाही नहीं हो सकी है. हालांकि, इस मामले पर ममता बनर्जी की टीएमसी की रणनीति अलग नजर आई है. तृणमूल कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक में भी शामिल नही हुईं. हालांकि, संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने अडानी मामले की जांच की मांग को लेकर विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शन का समर्थन किया और प्रदर्शन में शामिल हुईं.
अडानी मामले पर ये विपक्षी दल हुए एक
रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई विपक्ष की बैठक में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), समाजवादी पार्टी (सपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय लोकदल, आरएसपी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना, आईएमयूएल, द्रविड मुन्नेत्र कडगम (द्रमुक) और भारत राष्ट्र समिति के नेता शामिल हुए.
इस पूरे मसले पर ममता की पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘हम राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा चाहते हैं और सरकार को बेनकाब करना चाहते हैं. हम मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए बीजेपी को बहस में हराएंगे. अगर कोई पार्टी सदन में गतिरोध पैदा करती है तो समझा जाएगा कि वो बीजेपी के साथ है.’