AAP vs BJP: दिल्ली नगर निगम के मेयर पद का चुनाव जल्द कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी ऑफिस और प्रोटेम स्पीकर सत्या शर्मा को नोटिस जारी किया. आम आदमी पार्टी की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी कमिश्नर को भी नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट में दलील
शैली ओबरॉय की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी बुधवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पेश हुए. सिंघवी ने कहा कि हालांकि नगर निगम के चुनाव 4 दिसंबर को हुए थे लेकिन दो महीने गुजरने के बावजूद अभी तक मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया है. संविधान के मुताबिक मनोनीत पार्षदों को वोट डालने का अधिकार नहीं है लेकिन प्रोटेम स्पीकर उन्हें भी वोट डालने की इजाज़त दे रहे है.
‘सभी पदों पर चुनाव एक साथ न हो‘
अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी दलील दी कि प्रोटेम स्पीकर सत्या शर्मा मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का एक साथ चुनाव कराना चाहती है. यह असंवैधानिक है. पहले मेयर पद पर चुनाव हो. उसके बाद उनकी अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होना चाहिए.
आप-बीजेपी के बीच टकराव की वजह क्या है?
दिल्ली में एमसीडी का चुनाव पिछले साल 4 फरवरी को हुआ था. 7 फरवरी को चुनाव परिणाम भी घोषित हो गए लेकिन दो महीने का वक़्त गुजरने के बावजूद दिल्ली को अपना मेयर नहीं मिल सका है.
एमसीडी की 6 जनवरी, 24 जनवरी और 6 फरवरी को हुई मीटिंग आप, बीजेपी पार्षदों के हंगामें की भेंट चढ़ गई.
आप- बीजेपी के बीच टकराव की वजह एलजी की ओर से नियुक्त किए गए 10 मनोनीत पार्षद हैं. आप चाहती है कि मनोनीत पार्षदों को वोट का अधिकार नहीं मिले. जबकि बीजेपी उन्हें मतदान का हिस्सा बनाना चाहती है.
प्रोटेम स्पीकर ने मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव एक साथ कराए जाने की बात कही है. इस पर भी आम आदमी पार्टी का एतराज है.
आप नेता की याचिका में मांग
आप नेता शैली ओबरॉय की ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि सत्या शर्मा को प्रोटेम स्पीकर के पद से हटाया जाए. एक हफ्ते के अंदर एमसीडी की मीटिंग बुलाई जाए और जब तक मेयर पद पर चुनाव न हो जाये, तब तक सदन स्थगित न किया जाए. डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हो और मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार ना दिया जाए.