बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज;पिता की अर्थी को कंधा देने के बाद पूरी की अंतिम संस्कार के रिवाज…

कवर्धा . सभी माँ बाप की एक इक्छा होती है कि उनके मृत शरीर का क्रिया क्रम उनका बेटा करेगा माँ बाप को पहला कंधा उनका बेटा ही देता है और ये शास्त्र भी कहता है पर जिनके बेटे नही होते उनके लिए ये सपना ही रह जाता है, लेकिन विधि के विधान में कुछ और ही लिकजा था आज के इस युग मे बेटा नही होने पर भी अन्तिमक्रिया बेटियां भी बखूबी निभाती है पहले लोग इसे आश्चर्य भी मानते थे परन्तु कहते हैं ना कि परिवर्तन ही संसार का नियम है ठीक वैसे ही कवर्धा निवासी प्रतिष्ठित अनाज व्यवसायी धर्मनिष्ठ सुश्रावक मंगलचंद नाहटा  76 वर्ष के निधन पर उनकी दोनों बेटीया जिसमे बड़ी बेटी बालोद निवासी बरखा अजय सांखला एवं छोटी बेटी पूजा नीरज कोचर महासमुंद ने अपने पिता की अंतिम इक्षा को पूरा करते हुए दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया. जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है कवर्धा निवासी स्व मंगलचंद नाहटा की सुपुत्री बरखा अजय सांखला जो कि जैनत्त्व ग्रुप के माध्यम से बालोद जिले में अनेक सामाजिक कार्य करती है कई गरीब बच्चो के लिए पढ़ाई का जिम्मा भी उन्होंने उठाया है. वही अनेक बच्चो के स्कूल ड्रेस पढ़ाई से सम्बंधित पुस्तक कॉपी एवं पर्यावरण हेतु अनेक कार्य वह अपने संस्था के सदस्यो के सहयोग से करती हैं जिसकी प्रेरणा भी उन्हें अपने पिता से मिली है जैसे ही दोनों बेटियों को अपने पिता के निधन की खबर लगी दोनों बेटियों ने अपने पिता के अंतिम इक्छा को पूरा करने का मन बना लिया उन्होंने इस इक्छा की बात परिवार एवं समाज के अन्य लोगो को बताया सभी लोगो ने दाह संस्कार के रिवाज को पूरा करने अपनी हामी भरी और इन बेटियों ने अपने पिता के अर्थी को कांधा भी दिया जिसकी चर्चा आज छग के जैन समुदाय में हो रहा है.

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