7 लाख रुपये सस्‍ती हुई कैंसर की दवा, सरकार ने खत्‍म की कस्‍टम ड्यूटी

नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली दवाओं और खाद्य पदार्थों पर आयात शुल्‍क समाप्‍त कर दिया है. यह छूट व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित विशेष चिकित्सा उद्देश्यों के लिए सभी दवाओं और भोजन पर मिलेगी. आयात शुल्क में छूट 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएगी. सरकार ने कैंसर के विभिन्न रूपों के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेम्ब्रोलिजुमाब को भी सीमा शुल्क से छूट दे दी है. दवाओं पर आम तौर पर 10 फीसदी सीमा शुल्क लगता है, जबकि जीवन रक्षक दवाओं की कुछ श्रेणियों पर 5 फीसदी सीमा शुल्‍क लगता है.

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर दुर्लभ कैंसर से पीडित बच्‍ची के इलाज में प्रयोग होने वाली आयातित दवा को सीमा शुल्‍क से छूट प्रदान करने की अपील की थी. निहारिका नाम की इस बच्‍ची के इलाज के लिए 65 लाख रुपये के इंजेक्‍शन की जरूरत थी. इस पर करीब 7 लाख रुपये टैक्‍स लग रहा था. बच्‍ची के मां-बाप यह टैक्‍स चुकाने में असमर्थ थे और उन्‍होंने अपनी समस्‍या थरूर को बताई. अब सरकार ने सभी दुर्लभ बीमारियों के इलाज में प्रयोग होने सभी दवाओं पर आयात शुल्‍क समाप्‍त कर लोगों को बड़ी राहत दी है. सरकार के इस कदम से निहारिका के कैंसर के इलाज का इंजेक्‍शन भी अब 7 लाख रुपये सस्‍ता हो गया है.

बीमारी होनी चाहिए लिस्‍टेड
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाओं का कोई व्यक्तिगत तौर पर आयात करता है, तो उसे सीमा शुल्‍क नहीं चुकाना होगा. यह बीमारी नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजिजेस 2021 के अंतर्गत लिस्‍टेड होनी चाहिए.

देना होगा प्रमाण पत्र
इस छूट का लाभ उठाने के लिए, व्यक्तिगत आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन द्वारा जारी एक प्रमाण-पत्र दिखाना होगा यह सत्‍यापित किया गया होगा कि यह बीमारी दुर्लभ बीमारी के अंतर्गत आती है. गौरतलब है कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिए निर्दिष्ट दवाओं को पहले ही सीमा शुल्‍क से छूट प्रदान की जा चुकी है.

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