उकसावे के पीछे ड्रैगन का खतरनाक है प्लान
अमेरिका ने भारत के पक्ष में चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर बीजिंग ने कई उकसाने वाले कदम उठाए हैं. व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने कहा कि भारत अमेरिका का सहयोगी नहीं है और न ही कभी होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति के उप सहायक एवं हिंद-प्रशांत मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने कहा, ‘भारत अमेरिका का सहयोगी नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि हम करीबी सहयोगी नहीं होंगे और बहुत सी चीजें साझा करेंगे. हमें उस भूमिका को समझने की जरूरत है जो भारत वैश्विक मंच पर एक महान राष्ट्र के रूप में निभाएगा.’
कैंपबेल ने कहा, ‘हम इसे प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसका समर्थन करना चाहते हैं. हम भारत-अमेरिका के बीच के उस रिश्ते को और गहरा करना चाहते हैं, जो पहले से ही बहुत मजबूत है. दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंध अमेरिकी लोगों के वैश्विक स्तर पर अन्य किसी भी दूसरे देशों के लोगों से संबंधों की तुलना में ज्यादा मजबूत हैं.’
थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ तथा झड़पों की घटनाएं बढ़ गई हैं. थिंक टैंक ने रिपोर्ट में कहा कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ और झड़पें लगातार हो रही हैं और इससे चौतरफा संघर्ष होने का खतरा बढ़ गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीन भारत को सीमा विवाद में उलझाकर रखना चाहता है, ताकि वो चीनी महत्वाकांक्षाओं को चुनौती देने की भारत की इच्छा तथा क्षमता को कमजोर कर सके. और इसके लिए वो भारत को पश्चिम में पाकिस्तान के साथ और पूर्व में चीन के साथ विवादों में उलझाकर रखना चाहता है.’
कैंपबेल ने थिंक-टैंक से कहा, ‘चीन ने 5,000 मील की इस विशाल सीमा पर जो कदम उठाए हैं, वे भारत, भारतीय भागीदारों और उसके दोस्तों के लिए उकसावे वाले व चिंताजनक हैं.’ लिसा कर्टिस और डेरेक ग्रॉसमैन द्वारा तैयार किए गए थिंक टैंक की इस रिपोर्ट में भारत के लिए चीन से लगती सीमा पर बीजिंग के कदमों को रोकने और उसका जवाब देने में मदद करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.
उनमें से प्रमुख रूप से इस बात को शामिल किया गया है कि अमेरिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों के खिलाफ बीजिंग की मुखरता के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए.
इसने यह भी सिफारिश की गई है कि अमेरिका, भारत को अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए आवश्यक सैन्य तकनीक की पेशकश करे और सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास की शुरुआत करे. साथ ही वो भारत को अपनी समुद्री और नौसैनिक क्षमता को मजबूत करने में सहायता प्रदान करे. कैंपबेल ने कहा कि 21वीं सदी में भारत-अमेरिका संबंध हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं.