रिसर्च: गर्भ में पल रहे बच्चे को भी कोरोना से खतरा, कर दे रहा ब्रेन डैमेज

शिकागो. मियामी विश्वविद्यालय (University of Miami) के शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसे पहले दो पुष्ट मामले सामने आऐ हैं, जिनमें कोविड वायरस एक मां की नाल (Placenta) को पार कर गया और शिशुओं में ब्रेन डैमेज का कारण बना. डॉक्टरों को पहले से ही संदेह था कि ऐसा होना संभव है. मगर अब तक मां के प्लेसेंटा या शिशु के ब्रेन में कोविड-19 (COVID-19) का कोई सबूत नहीं मिला था. इन दोनों बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को टीके उपलब्ध होने से पहले 2020 में महामारी की डेल्टा लहर के पीक पर कोरोना संक्रमित पाया गया था. ये केस स्टडी जर्नल पीडियाट्रिक्स में छपी है.

साइटोमेगालोवायरस, रूबेला, एचआईवी और जीका सहित कई वायरस माता के प्लेसेंटा को पार करने और भ्रूण के ब्रेन को नुकसान पहुंचाने में सक्षम माने जाते हैं. कोविड-19 वायरस भी वयस्कों के दिमाग के ऊतकों में पाया गया है. कुछ एक्सपर्ट्स को पहले ही संदेह था कि यह भ्रूण के दिमाग के ऊतकों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. मगर इसका कोई ठोस सबूत अब तक नहीं पाया गया था. मियामी विश्वविद्यालय में प्रसूति एवं स्त्री रोग के अध्यक्ष डॉ. माइकल पेडास ने कहा कि यह पहली बार है जब हम ट्रांसप्लासेंटल के रास्ते से भ्रूण के अंग में पहुंचे कोविड वायरस के सबूत को सामने लाने में सक्षम हुए हैं. इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.

जिन नवजात शिशुओं के ब्रेन को कोविड वायरस ने डैमेज किया था, उनको जीवन के पहले दिन से दौरे पड़ते थे. हालांकि जीका वायरस के होने वाले असर के विपरीत ये बच्चे माइक्रोसेफली के साथ पैदा नहीं हुए थे. माइक्रोसेफली एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें बच्चों के सिर छोटे आकार के होते हैं. रिसर्च टीम ने कहा कि इसके बजाय इन बच्चों में माइक्रोसेफली समय के साथ डेवलप हुई, क्योंकि उनके दिमाग ने सामान्य दर से बढ़ना बंद कर दिया. दोनों बच्चों में विकास संबंधी गंभीर देरी देखी गई थी. रिसर्च टीम ने कहा कि बच्चों में से एक की 13 महीने की उम्र में मौत हो गई और दूसरा अस्पताल में है. इन बच्चों की एक की माता में केवल हल्के लक्षण थे और बच्चे का जन्म गर्भ का समय पूरा होने पर हुआ. जबकि दूसरी मां इतनी बीमार थी कि डॉक्टरों को 32 हफ्ते के गर्भ में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा.

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