राजनांदगांव। पॉक्सो एक्ट के एक मामले में न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ड (पाक्सो) राजनांदगांव पीठासीन न्यायाधीश शैलेष शर्मा द्वारा विचारण उपरांत निर्णय घोषित कर अभियुक्तगण को दोषी पाते हुए अभियुक्त चंद्रकार कोठारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 एवं 366 के आरोप में 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रूपये के अर्थदंड, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (ढ) तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के आरोप में 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रूपये अर्थदंड और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 9 के आरोप में एक वर्ष का सश्रम कारावास से दंडित किये जाने का दंडादेश पारित किया गया। मामले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजनांदगांव परवेज अख्तर ने पैरवी की।
अभियुक्तगण प्रकाश कोठारी एवं मीना कोठारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (ढ) व सहपठित धारा 109 के आरोप में 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रूपये अर्थदंड, पॉक्सो एक्ट की धारा 6 सहपठित धारा 17 के आरोप में 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रूपये अर्थदंड और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 10के आरोप में एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रूपये का अर्थदंड एवं अभियुक्त खुमान कौशिक को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के आरोप में 3 वर्ष का सश्रम कारावास 1000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किये जाने का दंडादेश पारित किया गया।
मामला इस प्रकार है कि विगत ढाई वर्ष पूर्व थाना गैंदाटोला, जिला राजनांदगांव (छ.ग.) क्षेत्रांतर्गत पंजीबद्ध मामले में नागपुर निवासी आरोपीगण चंद्रकार कोठारी, उम्र 19 साल, प्रकाश कोठारी, उम्र 23 साल, मीना बाई कोठारी, उम्र 40 साल एवं खुमान कौशिक उम्र 21 साल द्वारा एक राय होकर नाबालिक पीड़िता को आरोपी चंद्रकार कोठारी द्वारा विवाह का लालच लेकर अपने साथ नागपुर ले जाकर शादी किया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। शेष आरोपी उसके परिजन भी नाबालिग पीड़िता को प्रलोभन देकर नागपुर ले जाकर शादी करने में सहयोग किया। रिपोर्ट पर थाना गैंदाटोला द्वारा मामला पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया था तथा विवेचना के दौरान आरोपीगणों के कब्जे से नाबालिग पीड़िता को बरामद किया गया था और आरोपीगणों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया था। संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपीगणों के विरूद्ध धारा 366, 376, 34 भादवि एवं धारा 6 पॉक्सो एक्ट व बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत चालान विचारण हेतु विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्षियों के परीक्षण पश्चात् अभियुक्तगण के विरूद्ध मामला पुष्ट पाते हुए आरोपीगणों को दंडित किया गया।