नई दिल्ली: रोशनी का त्योहार दीपावली (Deepawali 2021), जिसका नाम ही दीपों को उज्जवल करने के लिए पड़ा, उसमें बीते कुछ सालों में चीनी लाइटों और झालरों ने घुसपैठ कर ली थी. लेकिन पिछले साल से सरहद पर चीन (China) की चालबाजियों के कारण लोगों ने आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) और Vocal For Local को बढ़ाने का जो संकल्प लिया था उसका असर इस साल दीवाली (Diwali 2021) के त्योहार में भी दिख रहा है. दीपों के त्योहार दीपावली में दीप (मिट्टी के दीये) की वापसी होती दिख रही है.
चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रही भारत की जनता
दिल्ली (Delhi) के उत्तम नगर का बाजार दीपावली के लिए दीयों की खरीदारी करने वालों से पटा पड़ा है. दीये खरीदने के लिए लोगों की भीड़ भी ऐसी जो सालों बाद देखी गई हो. दिल्ली में रहने वाली ललिता अरोड़ा के मुताबिक, बचपन में वो दीपावली दीयों के साथ ही मनाती थीं लेकिन बच्चों की जिद और सस्ती होने के कारण कुछ सालों से उनका परिवार दीपावली पर चीनी झालरों से अपना घर रोशन कर रहा था. लेकिन इस साल उन्होंने संकल्प लिया है कि चीन को आर्थिक जवाब देने के लिए उनके घर को मिट्टी के दीये जलाकर ही रोशन किया जाएगा, जिससे उनका घर भी रोशन हो और चीन को मुंहतोड़ भी जवाब दिया जा सके.
दीयों की डिमांड ने तोड़ा रिकॉर्ड
उत्तम नगर में मिट्टी के सामान की दुकान चलाने वाले व्यापारी राजीव कुमार के मुताबिक, इस साल लोगों की भीड़ मिट्टी के दीये लेने आ रही है जो सच में अद्भुत है. मिट्टी के दीये की डिमांड इतनी है कि दुकानदार पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं. राजीव कुमार ने सोचा था कि ज्यादा से ज्यादा इस साल चीन के सामान के बहिष्कार की वजह से डिमांड पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना बढ़ेगी लेकिन दीपावली आते-आते मिट्टी के दीयों की डिमांड ने रिकॉर्ड तोड़ दिया और जितने मिट्टी के दीये उन्होंने साल 2019 और 2020 में कुल मिलाकर बेचे थे उससे ज्यादा तो अकेले इस साल दीपावली से पहले ही बेच चुके हैं.
लोगों ने लिया चीनी सामानों के बहिष्कार का संकल्प
दिल्ली का उत्तम नगर क्योंकि मिट्टी के सामान का एक मशहूर और बड़ा बाजार है तो यहां दीपावली के लिए डिजाइनर दीये लेने लोग दूर-दराज से भी आ रहे हैं. गुरुग्राम में रहने वाले राजेश 22 किलोमीटर दूर का सफर तय करके सिर्फ दिल्ली के उत्तम नगर में मिट्टी के डिजाइनर दीये लेने आए ताकि वो पिछले साल लिए गए अपने चीनी माल का बहिष्कार करने और स्वदेशी कारीगर की मदद करने के संकल्प को पूरा कर सकें. राजेश के मुताबिक, दीपावली तो दीपों का ही त्योहार है वो तो हम भारतीयों की गलती थी जो चीनी लाइटों और झालरों के चक्कर में पड़ गए, लेकिन अब भारतीय फिर से दीयों की तरफ बढ़ रहे हैं.
दीपों के पर्व दीपावली में दीपों की वापसी से सबसे ज्यादा फायदा कुम्हारों को हो रहा है जो मिट्टी के दीयों को बनाते हैं. दिल्ली के उत्तम नगर की कुम्हार कॉलोनी में बीते 19 सालों से दीये बनाने वाले कुम्हार मामराज बताते हैं कि हर साल जो मिट्टी के दीये वो बनाते थे उन्हें खुद अपने साधन से बाजार ले जाकर व्यापारी को बेचते थे, डिमांड कम थी तो सारे दीये बिक नहीं पाते थे और खराब हो जाते थे. लेकिन इस साल मिट्टी के दीयों की डिमांड इतनी ज्यादा है कि व्यापारी उनके घर पर दीये खरीदने आ रहे हैं और आर्डर भी इतने ज्यादा है कि उन्हें पूरे परिवार के साथ मिलकर 18-19 घंटे दीये बनाने पड़ रहे हैं. एक दशक के बाद दीयों की डिमांड में इतना उछाल आया है.
मिट्टी के दीयों की डिमांड बढ़ने के अलावा कुम्हार को मिलने वाली उसकी कीमत में भी इस साल दोगुनी से ज्यादा की बढ़त हुई है. उत्तम नगर में ही दीये बनाने का काम करने वाले राजकुमार के मुताबिक, पिछले साल 1 हजार मिट्टी के दीयों की कीमत 200 से 250 रुपये के बीच थी लेकिन इस साल इतने ही दीये 600, 700 या 900 रुपये तक बिक रहे हैं.
जहां एक तरफ भारत में चीनी माल के बहिष्कार और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के चलते दीपावली में दीपों की वापसी हो रही है तो दूसरी तरफ इसकी सबसे ज्यादा मार चीन को पड़ने वाली है. देशभर के व्यापारियों की संस्था Confederation Of All India Traders (CAIT) के भारत के 20 बड़े शहरों में कराए गए सर्वे के मुताबिक, इस साल दीपावली पर स्वदेशी दीपावली के चलते चीन को 50 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है.
CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक, इस साल CAIT ने सभी व्यापारियों से आह्वान किया था कि दीपावली पर हर दुकानदार अपनी दुकान में मिट्टी के दीये जरूर रखे और चीनी सामान बिल्कुल भी ना बेचे क्योंकि जब बाजार में चीनी सामान होगा नहीं तो लोग मिट्टी के दीये ही खरीदेंगे. इसी का असर है कि इस साल दीपावली आत्मनिर्भर होने वाली और चीन को हजारों करोड़ का आर्थिक जवाब भी मिलने वाला है.