स्टॉकहोम. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने स्वीडन यात्रा के दौरान प्रवासी भारतीयों से मुलाकात की. यहां उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि आप में से कितने लोग हिंदी जानते हैं, लेकिन मुझे जो जानकारी दी गई है, उसके लिए ‘आपके मुंह में घी शक्कर.’ जयशंकर के इस वाक्य के बाद देर तक तालियां बजती रहीं, भारतीय समुदाय ने इसका भरपूर स्वागत किया. दरअसल जयशंकर दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम में हिस्सा लेने आए हैं. वीडियो से यह साफ नहीं हो पाया कि जयशंकर ने ऐसा क्यों कहा था?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, साइप्रस, लातविया, लिथुआनिया और रोमानिया के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की है. वह जब यहां भारतीय समुदाय से मुखातिब हुए तो उन्हें बताया गया कि भारत का ग्लोबल प्रोफाइल बेहतर हुआ है. इससे विदेश मंत्री एस जयशंकर बेहद प्रसन्न हो गए. स्टॉकहोम में रहने वाले कुछ भारतीयों ने यह बताया कि भारत का वैश्विक कद हर बीतते दिन के साथ बढ़ रहा है.
VIDEO | If you follow Hindi, there is a term which is 'aapke muh mein ghee shakkar (what you say, may it come true)…,' said EAM S Jaishankar while addressing the Indian diaspora in Sweden yesterday. pic.twitter.com/CcwJqI9o4e
— Press Trust of India (@PTI_News) May 15, 2023
ग्लोबल स्तर पर भारत का प्रोफाइल सुधरा
एस जयशंकर ने जब अपना भाषण शुरू किया तो उन्होंने भारतीय समुदाय से कहा कि मुझे जो जानकारी आपने दी है, उसे हम सब महसूस कर रहे हैं कि ग्लोबल स्तर पर भारत का प्रोफाइल सुधरा है. …लेकिन मैं वास्तव में भारतीय संस्कृति के इस वैश्वीकरण को होते हुए देख सकता हूं. और यह विभिन्न कारकों के चलते हो रहा है. एक, निश्चित रूप से, (भारतीय) डायस्पोरा के प्रसार के कारण है. दूसरा यह है कि हम, स्वयं मुझे लगता है, इसे और अधिक आत्मविश्वास से व्यक्त कर रहे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे (भारतीय संस्कृति का वैश्वीकरण) और अधिक सार्वभौमिक बनाने के तरीकों को खोजने का प्रयास करें.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तारीफ की
एस जयशंकर ने कहा कि इसका एक ‘बहुत अच्छा उदाहरण’ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था, और जो अपनी पहली पुनरावृत्ति के बाद से, प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. जयशंकर ने कहा कि ‘मुझे कहना होगा, पूरी ईमानदारी से, हममें से कोई भी वास्तव में कल्पना भी नहीं कर सकता था कि यह इस तरह जोर पकड़ लेगा.