डाॅक्टर विक्रम बैद चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पेशे में अब तक का सबसे क्रिटिकल केस
राजनांदगाँव। मुंबई में डाॅक्टरी की पढ़ाई कर वहीं के KEMH हाॅस्पीटल में 4 साल फिर रायपुर के बाल गोपाल में 2 साल सेवायें दे चुके शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. विक्रम बैद बीते 8 साल से जिला चिकित्सालय राजनांदगाँव में सेवायें दे रहे हैं। वैसे तो डाॅ. बैद ने अपने चिकित्सकीय पेशे में कई जटिल प्रकरणों (क्रिटिकल केसेस) का सफलता पूर्वक निबटारा किया है, लेकिन उनकी मानें तो राजनांदगाँव जिला चिकित्सालय (D.H) में हाल ही में आया मामला उनके चिकित्सकीय पेशे का सबसे जटिल (क्रिटिकल) रहा है, जो कि यह साबित करता है कि डाॅक्टर वाकई में भगवान होता है।
ऐसा है मामला
शासन की स्वास्थ्य योजना के तहत निःशुल्क उपचार से जिस एक दिन के बच्चे की जान बची है वह सौभाग्यशाली बच्चा है बालोद जिले के अर्जुन्दा क्षेत्र के गाँव बोड़ेना निवासी दंपत्ति दिव्या-योगेन्द्र साहू का। उसे 22 अक्टूबर 2021 को लोकर यहाँ शासकीय जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। डाॅ. ने दैनिक पहुना को बताया की उसकी आँखों की पुतलियाँ फैली हुई थीं व साँस प्राकृतिक रूप से नहीं चल रही थी। पैदा होने के बाद उसने रोया नहीं यह मुख्य समस्या थी। फिर उसे 7-8 दिन वेंटीलेटर पर रखा गया। धड़कन भी कम थी उसे कांच की पेटी में रखा जाकर चौबीसों घंटे निगरानी में रखा गया। दो किलो तीन सौ ग्राम का यह बच्चा अब माँ का दूध भी पीने लगा है। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य और परिजन प्रसन्न है।