मजबूरी में कई बार लोगों को लोन (loan) लेना पड़ता है, लेकिन कई बार ऐसी परिस्थिति बनती है कि वे किस्त नहीं चुका पाते हैं. इससे बैंकों के लोन रिकवरी एजेंट (recovery agent) उन्हें वसूली को लेकर परेशान करने लगते हैं. कई बार तो वे गाली-गलौज और हाथापाई पर उतर आते हैं. लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उन पर नकेल कसने के लिए नियमों को सख्त बना दिया है. आरबीआई ने साफ कहा है कि उसके रेगुलेटरी दायरे में आने वाली सभी एंटिटीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि कलेक्शन एजेंट कर्जदारों को परेशान ना करें.
रेगुलेटर एंटिटीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे या उनके एजेंट कर्ज की वसूली करते समय किसी तरह की डराने-धमकाने वाली हरकत न करें. किसी भी कर्जदार के साथ गाली-गलौच या हाथापाई नहीं होनी चाहिए. केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा कि बैंक, नॉन-बैंक और दूसरी रेगुलेटेड एंटिटीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके रिकवरी एजेंट्स को कर्जदार के दोस्तों या परिजनों के साथ सार्वजनिक रूप से कोई बदतमीजी नहीं करनी चाहिए और न ही उनकी प्राइवेसी में दखल देना चाहिए. कर्जदारों को मोबाइल या सोशल मीडिया के जरिए डराने-धमकाने वाली मैसेज नहीं भेजने चाहिए और न ही इस तरह के कॉल करने चाहिए.
किसी को डराना धमकाना अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज की वसूली के लिए एजेंट के जरिए धमकाना, दुर्व्यवहार करना और प्रताड़ित किए जाने को अपराध माना है. अगर कोई रिकवरी एजेंट लोन को लेकर अगर डराता, धमकाता है तो आप इसकी शिकायत बैंक के साथ-साथ थाने में भी करें. किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है. ऐसे में डिफॉल्टर के साथ बैंक या उसका कोई रिकवरी एजेंट मनमानी नहीं कर सकता.
क्या है नियम
इसको लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं. जैसे रिकवरी एजेंट recovery tribunal में जाकर रिकवरी कर सकते है. आरबीआई के मुताबिक, लोन एजेंट किसी भी करदाता यानी जिसने लोन लिया हैं. उसको सुबह 8 बजे के पहले और शाम 7 बजे के बाद कॉल नहीं कर सकती हैं. इसके बाद भी बहुत से नियम हैं जिनका पालन करना होता है. इसके साथ ही कर्जदारों को अनुचित मैसेज न भेजने की भी हिदायत दी जाती हैं.
लोन न चुकाने पर नहीं होगी जेल
अगर loan नहीं चुका पाने का आपका reason genuine है, तो loan लेने वाले को जेल नहीं होगी. यदि उधारकर्ता की अचानक मृत्यु हो जाती है, और यदि Bank ने पहले ही इस परिस्थिति को भांप लिया होता है. तो इस मामले में, Bank पहले ही Loan का बीमा कर चुका होता है, जिसका भुगतान उधारकर्ता के परिवार से लिया जाता है. लोन वसूली करते वक्त पुलिस को साथ ले जाना जरूरी है.