नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव और यूपी में पार्टी की नैया को संभाल रहीं प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने एक बार फिर लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले पर आवाज उठाई है. लखीमपुर खीरी में सामने आए घटनाक्रम को लेकर प्रियंका ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा है.
‘बर्खास्तगी की मांग’
कांग्रेस नेता ने का कि पीएम मोदी के कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने ये भी कहा, ‘लखीमपुर में किसानों के साथ अत्याचार हुआ इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है. वहीं सरकार ने किसानों की आवाज दबाने की कोशिश की है. अभी तक सरकार लखीमपुर के आरोपियों बचाने की कोशिश कर रही है. इसलिए अजय मिश्रा को तुरंत गृह राज्य मंत्री पद से हटाया जाए.’
मंच साझा करने पर नाराजगी
प्रियंका गांधी ने कहा कि अजय मिश्रा, खुद गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ मंच साझा करते हैं. इसलिए कैसे न्याय की उम्मीद की जा सकती है. इसलिए उन्हें फौरन पद से बर्खास्त करना चाहिए.
लगातार हमलावर हैं प्रियंका गांधी
इस बार पीएम को लिखे पत्र में आगे उन्होंने लिखा, ‘लखीमपुर नरसंहार में क्रूरता को पूरे देश ने देखा है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद पर बने रहते पीड़ितों को न्याय की उम्मीद नहीं है. अभी तक हुई जांच प्रक्रिया यही दिखाती है. कल आपने सच्चे मन और पवित्र ह्रदय से कृषि कानून वापस लेने की बात की और कहा की आप किसानो के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आप लखनऊ में होने वाली DGP कॉन्फ्रेंस में कानून व्यवस्था को संभालने वाले उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे.’
अजय मिश्रा के साथ मंच साझा मत कीजिए प्रधानमंत्री जी: प्रियंका गांधी
अपने पत्र में उन्होंने ये भी कहा, ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी अभी भी आपके मंत्रीमंडल में अपने पद बर बने हुए हैं, उन्हें बर्खास्त करिए. अगर देश के किसानों के प्रति आपकी नीयत सचमुच साफ है, तो आज अपने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के साथ डीजीपी कांफ्रेंस में मंच पर विराजमान मत होइए, उनको बर्खास्त कीजिए.’
कविता पर विवाद
गौरतलब है कि प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी विधान सभा चुनाव 2022 के लिए ताबड़तोड़ कैपेंनिंग कर रही हैं. इस बीच एक कविता को लेकर उनका नाम विवादों में आ रहा है. ‘उठो द्रौपदी शस्त्र उठा लो’ नाम से लिखी गई कविता की पंक्तियां शेयर करने को लेकर इसके लेखक ने उन्हें निशाने पर लेते हुए कई ट्वीट किए.
पुष्यमित्र उपाध्याय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा, ‘उनका उद्देश्य अपनी बात पहुंचाना था कि ‘सुनो द्रौपदी’ कविता राजनैतिक उपयोग के लिए नहीं है. आशा करता हूं कि भविष्य में राजनीतिक संस्थान इसे राजनीति का जरिया नहीं बनाएंगे. यह विवाद का विषय नहीं बल्कि साहित्यिक संपत्ति के संरक्षण हेतु गंभीरता दिखाने का है.’
(एएनआई इनपुट के साथ)