नई दिल्ली. दिल्ली-मेरठ के चलने वाली देश की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) या रैपिडेक्स की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. रेलवे बोर्ड ने इसके लिए प्रोविजनल सेंक्शन या अस्थाई अनुमति दे दी है. यह फुली इन्फ्लेटेड मोड में 160 KMPH और डिफ्लेटेड मोड में 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी. News18 ने इस संबंध में रेल बोर्ड द्वारा भेजे एक पत्र के हवाले से यह बात लिखी है.
आपको बता दें कि अभी रैपिड रेल के प्रायोरिटी सेक्शन पर काम चल रहा है जो लगभग खत्म हो चुका है. दिल्ली-मेरठ रूट का प्रायोरिटी सेक्शन साहिबाबाद से दुहाई डिपो है. यह 17 किलोमीटर लंबा स्ट्रेच है. अगर इस रूट पर 160 किलोमीटर की स्पीड से गाड़ी दौड़ती है तो स्टॉप समेत भी यह सफर 10 मिनट से पहले खत्म हो जाएगा. बता दें कि प्रायोरिटी सेक्शन पर 5 स्टेशन हैं. साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो. इस सेक्शन का उद्घाटन संभवत: इसी साल हो जाएगा. 82 किलोमीटर का संपूर्ण दिल्ली-मेरठ खंड 2025 के आसपास पूरा होने की संभावना है.
180 की स्पीड से चल सकती है रैपिड रेल
रैपिड रेल को अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका परीक्षण 160 किमी प्रति घंटा पर किया गया. हालांकि, इसकी औसत गति 100 किमी प्रति घंटा होने वाली है. रेलवे बोर्ड द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि स्पीड को लेकर अंतिम फैसला मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) और मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) द्वारा ही लिया जाएगा.
किन कारकों पर आधारित होगी स्पीड
सुरक्षा आयुक्त विभिन्न चीजों को मद्देनजर रखते हुए ट्रेन की स्पीड तय करेंगे. ट्रेन परिचालन शुरू करने से पहले, एनसीआरटीसी को बोगी सस्पेंशन सिस्टम, ब्रेक सिस्टम, व्हील, एक्सल और अन्य सुरक्षा संबंधी प्रणालियों की वास्तविक स्थिति के आधार पर ट्रैक फिटनेस और रोलिंग स्टॉक की फिटनेस आदि.
RRTS में सुविधाएं
आरआरटीएस एक नई, उच्च गति, उच्च क्षमता वाली, आरामदायक यात्री सेवा है. यह पारंपरिक रेलवे से अलग है क्योंकि यह भरोसमंद और पॉइंट-टू-पॉइंट क्षेत्रीय यात्रा प्रदान करेगा. आरआरटीएस मेट्रो से भी अलग है क्योंकि यह कम स्टॉप और उच्च गति के साथ अपेक्षाकृत लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों की सुविधा प्रदान करता है.