विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के विस्तार और सुधार में मदद के लिए 300 मिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दे दी. इस परियोजना का लक्ष्य लगभग 4 मिलियन छात्रों को लाभान्वित करना है. जिनमें से ज्यादातर बच्चे राज्य के गरीब और कमजोर तबके से हैं.
छत्तीसगढ़ में करीब 86 प्रतिशत स्कूल सरकार द्वारा संचालित हैं. जबकि प्राथमिक विद्यालय स्तर पर नामांकन 95 प्रतिशत है. उच्च माध्यमिक स्तर पर ये केवल 57.6 प्रतिशत है और लड़कों का नामांकन लड़कियों की तुलना में 10.8 प्रतिशत कम है. इसका कारण कई वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान और वाणिज्य शिक्षा की अनुपलब्धता, प्रशिक्षित विज्ञान और गणित शिक्षकों की कमी, प्रयोगशालाओं और सुविधाओं जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है. दूरदराज के छात्रों को भी आवास की समस्या का सामना करना पड़ता है. जबकि लड़कियों को केंद्र प्रायोजित समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत आवासीय विद्यालय की सुविधा है.
छत्तीसगढ़ एक्सेलेरेटेड लर्निंग फॉर ए नॉलेज इकोनॉमी ऑपरेशन (CHALK) का उद्देश्य सभी ग्रेडों में शिक्षा तक पहुंच में सुधार करना है. साथ ही उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान और वाणिज्य अध्ययन की बढ़ती मांग को भी संबोधित करना है. दूरदराज के स्थानों के स्कूलों के लिए ये पुरुष छात्रों और शिक्षकों के लिए आवासीय सुविधाओं तक पहुंच भी प्रदान करेगा.
ये परियोजना क्लास 1 से 12 तक करीब 600 मॉडल समग्र स्कूलों को विकसित करने और संचालित करने में मदद करेगी. वहीं उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान और वाणिज्य की पेशकश करेगी. ये स्कूल प्रशिक्षित शिक्षकों, मजबूत स्कूल नेतृत्व समेत प्रबंधन और सीखने के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेंगे. समर्थन में पर्यावरणीय रूप से सुदृढ़ निर्माण प्रथाओं का उपयोग करके जलवायु-प्रूफ़िंग स्कूल बुनियादी ढांचे को भी शामिल किया जाएगा.
भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि ‘ये परियोजना वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर विज्ञान और वाणिज्य शिक्षा प्रदान करने वाले सरकार-प्रबंधित स्कूलों के नेटवर्क का विस्तार करने में मदद करेगी’ ‘इससे छात्रों को छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ते विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उभरते रोजगार के अवसरों से लाभ उठाने के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी.’
परियोजना के तहत शिक्षक प्रशिक्षण पहल से छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार के लिए कक्षाओं में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी. परियोजना के तहत 175,000 से ज्यादा शिक्षकों को सेवाकालीन व्यावसायिक विकास सहायता प्राप्त होने की उम्मीद है. शिक्षकों को समय-समय पर स्कूल-आधारित शिक्षण मूल्यांकन की प्रणाली के आधार पर छात्र-विशिष्ट उपचारात्मक शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच प्रदान की जाएगी.
प्रोजेक्ट के टीम लीडर कार्तिक पेंटल, शोभना सोसले और सुप्रीति दुआ ने कहा कि ‘एक मजबूत सरकारी कार्यक्रम का निर्माण, जो COVID-19 महामारी के कारण सीखने के नुकसान से उबरने की दिशा में विश्वसनीय लाभ कमा रहा है, ये परियोजना शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन को पेशेवर विकास सहायता तक पहुंच प्रदान करेगी. ये छात्रों को उपचारात्मक शिक्षा सहायता सक्षम करने के लिए स्कूल-आधारित मूल्यांकन की मौजूदा प्रणाली को भी मजबूत करेगा.
इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से $300 मिलियन का ऋण प्रोग्राम-फॉर-रिजल्ट्स (पीएफओआरआर) वित्तपोषण उपकरण का उपयोग करता है. जो धन के वितरण को सीधे विशिष्ट कार्यक्रम परिणामों की उपलब्धि से जोड़ता है. ऋण की परिपक्वता अवधि 5 वर्ष की छूट अवधि के साथ 18.5 वर्ष है.