9 साल बाद क्यों? 2024 चुनाव की वजह से
Uniform Civil Code: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि उनका प्रस्ताव कितना समान है और क्या हिंदू, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है.
प्रधानमंत्री ने विपक्ष दलों पर मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था. राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया… विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया.. पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना ‘समान’ है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है। क्यों? अब आपको चिंता हो रही है.
गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है.
एनसीपी क्या बोली?
NCP प्रमुख शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि चुनावों से पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा उठाना एक राजनीतिक चाल है और ऐसे फैसले जल्दबाजी में नहीं लिए जाने चाहिए. एनसीपीके कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने पार्टी की विभिन्न इकाइयों की सिलसिलेवार बैठकों के बाद कहा, हमने न तो यूसीसी का समर्थन किया है और न ही विरोध किया है. हम केवल यह कह रहे हैं कि इतना बड़ा फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए.